हर तीन मिनट में एक भारतीय ब्रेन स्ट्रोक से होता है पीड़ित, जानें इससे बचाव के तरीके

कांग्रेस ऑफ सोसाइटी ऑफ न्यूरो वैस्कुलर इंटरवेंशन (SNVICON) मुंबई 2019 के चल रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में इस बात का खुलासा हुआ है कि हर तीन मिनट में 20 सेकंड के अंतराल पर एक भारतीय ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होता है और बदलती जीवनशैली के कारण इस संख्या का बढ़ना खतरे की घंटी बजा रहा है।तीन मिनट में एक भारतीय ब्रेन स्ट्रोक से होता है पीड़ित, जानें इससे बचाव के तरीके

इस दर के मुताबिक करीब 15.4 लाख भारतीय प्रत्येक वर्ष स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं और इन सबमें सबसे खराब बात ये है कि स्ट्रोक के 90 फीसदी मरीज समय पर अस्पताल तक पहुंच नहीं पाते।

स्ट्रोक का जोखिम 55 साल की उम्र के बाद पांच में से एक महिला को होता है जबकि छह में से एक पुरुष 55 साल की उम्र के बाद इस बीमारी से पीड़ित होता है।

कांग्रेस ऑफ सोसाइटी ऑफ न्यूरो वैस्कुलर इंटरवेंशन (SNVICON) मुंबई 2019 के चल रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में इस बात का खुलासा हुआ है। इस सम्मेलन में विदेशों से भी वैज्ञानिक शामिल हुए हैं।

सम्मेलन के प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि भारत में संदेश स्पष्ट लेकिन खतरे की घंटी बजा रहा है। ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और यह कहना गलत नहीं होगा कि ये बदलती जीवनशैली से जुड़ा हुआ है।

बॉलीवुड के दो बड़े कलाकार जैकी श्रॉफ और संजय दत्त ‘स्ट्रोक इज बीटेबल’ की जागरूकता फैलाने व संदेश देने के लिए भारत के न्यूरोलॉजिकल जगत के समर्थन में उतरें।

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ब्रीच कैंडी अस्पताल के सीनियर कंस्लटेंट न्यूरोसर्जन व इंटरवेंशनल न्यूरोसर्जन डॉ. अनिल पी. करापुरकर ने कहा कि स्वस्थ दिल की तरह स्वस्थ मस्तिष्क भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए उपाय किए जाने की जरूरत है।

डॉ. अनिल ने चेतावनी दी, ”दिल के दौरे के मामले में या तो आपकी मौत हो जाती है या आप रिकवर कर सकते हैं। जबकि ब्रेन स्ट्रोक के मामले में या तो आपकी मौत हो सकती है, आप ठीक हो सकते हैं और सामान्य स्थिति में लौट सकते हैं, या आप जीवन भर के लिए किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं।”

उन्होंने बताया कि दिल के दौरे के मामले में आधा दर्जन से ज्यादा लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे सीने में दर्द,सांस लेने में दिक्कत, बाएं कंधे में दर्द आदि। जबकि स्ट्रोक के मामले में लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं क्योंकि यह जिस तरफ का मस्तिष्क प्रभावित है उस हिस्से पर निर्भर करता है।

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उन्होंने सलाह देते हुए कहा, ”स्ट्रोक हमारे शरीर के किसी हिस्से की गतिविधियां अचानक बंद होने के बाद पड़ता है। यह किसी भी तरीके से हो सकता है। स्ट्रोक होने पर आसान शब्दों में कहें तो आपको हर मामले में संतुलन, आंखों, चेहरे, बाहें, उच्चारण और समय को लेकर तेज होना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा, ”अगर किसी व्यक्ति को संतुलन में समस्या का सामना करना, आवाज में कर्कशता, देखने में अचानक दिक्कत, वस्तु का अचानक हाथ से गिरना जैसे संकेत दिखाई देते हैं तो सबसे पहली और जरूरी बात यह है कि वह बिना समय बर्बाद किए अस्पताल जाए।”

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