तीन तलाक पर ओवैसी बोले कुछ ऐसा कि लोकसभा में लगने लगे ठहाके ! देखें…

तीन तलाक पर बृहस्पतिवार को लोकसभा में हंगामा देखने को मिला | AIMIM नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- कि बिल में आप कह रहे हैं कि अगर किसी पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो शादी नहीं टूटती | सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी यही कहता है फिर आप ये क्यों कर रहे हैं |

असदुद्दीन ओवैसी ने अपने भाषण की शुरुआत तीखे अंदाज में की. उन्होंने कहा कि मैं तीसरी बार इस बिल के खिलाफ खड़ा हुआ हूं और जबतक जिंदगी रहेगी तबतक इस बिल का विरोध करता रहूंगा. ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक को इस सरकार ने अपराध में डाल दिया. ऐसे में फिर महिला का पालन-पोषण कौन करेगा.

उन्होंने कहा कि ये महिलाओं के खिलाफ है | जब 3 साल की सजा हो जाए, पति जेल में रहे तो औरत 3 साल तक इंतजार करें और जब 3 साल के बाद वो वापस आए तो क्या कहे कि ‘बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है’|

ओवैसी ने कहा कि आप एक प्रावधान लाइये कि अगर कोई ट्रिपल तलाक देता है तो मेहर की रकम का 5 गुना उसे भरना पड़े.

AIMIM सांसद ने कहा कि अगर कोई मुसलमान आदमी गलती से तीन बार तलाक बोल देता है तो शादी नहीं टूटती है | उन्होंने दावा किया कि इस्लाम में 9 किस्म के तलाक होते हैं और तीन तलाक उसमें से सिर्फ एक है |

तीन तलाक बिल के विरोध में ओवैसी ने कहा कि इससे महिला पर बोझ बढ़ेगा, क्योंकि अगर शौहर जेल में चला जाएगा तो फिर महिला को पैसा कौन देगा |

 

कम्प्यूटर बाबा ने कहा- ‘BJP के 4 और विधायक देंगे कमलनाथ सरकार को समर्थन , मैं जानता हूँ !’

 

वहीं, कांग्रेस सासंद गौरव गोगोई ने तीन तलाक बिल कहा कि क्या स्टैंडिंग कमिटी में बिल भेजने की मांग करना भी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हो गया | आप मुस्लिम संगठनों से सलाह मशवरा कीजिए |

उनके साथ बैठिए | अगर आपको ‘सबका साथ सबका विश्वास’ चाहिए तो आप सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मॉब लिंचिंग पर लॉ लाइए |

आपको बता दें कि इससे पहले लैंगिक न्याय को नरेंद्र मोदी सरकार का मूल तत्व बताते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि तीन तलाक पर रोक लगाने संबंधी विधेयक सियासत, धर्म, सम्प्रदाय का प्रश्न नहीं है बल्कि यह ”नारी के सम्मान और नारी-न्याय’ का सवाल है और हिन्दुस्तान की बेटियों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी इस पहल का सभी को समर्थन करना चाहिए |

रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019′ को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किया | जिसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके पतियों द्वारा तीन बार तलाक बोलकर विवाह तोड़ने को निषेध करने का प्रावधान किया गया है |

आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये पेश किए जाने का विरोध करते हुए इस संबंध में सरकार द्वारा फरवरी में लाये गये अध्यादेश के खिलाफ सांविधिक संकल्प पेश किया | प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक को भाजपा सरकार लक्षित एजेंडे के रूप में लाई है | यह राजनीतिक है | इस बारे में अध्यादेश लाने की इतनी जरूरत क्यों पड़ी |

 

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