तीन तलाक पर लामबंद हुए मुस्लिम, अब होगी आर-पार की लड़ाई

लखनऊ। तीन तलाक को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के कई इस्लामिक विद्वान व धर्मगुरु अदालत के फैसले से सहमत नही हैं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने का ऐलान किया है। हालांकि धर्मगुरु कल्वे जव्वाद ने इस मुद्दे पर सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील की है कि वे एक साथ आकर तीन तलाक को अवैध घोषित करें।

तीन तलाक को अवैध

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि तीन तलाक से महिला अधिकारों का हनन होता है, पर्सनल लॉ बोर्ड देश के संविधान से ऊपर नहीं हो सकता।

तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिए जाने से बरेली के उलेमा भी खफा हैं। दरगाह आला हजरत के मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सोची-समझी साजिश के तहत शरीयत और इस्लाम की जानकारी न रखने वाली कुछ मुस्लिम महिलाओं को तैयार करके उनसे इस तरह की रिट दाखिल कराई गई।

उन्होंने कहा कि देश के संविधान ने पर्सनल लॉ को सही माना है। इस्लाम का कानून महिलाओं के खिलाफ नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

फैजाबाद में अजमेर शरीफ कमेटी के उपाध्यक्ष व दरगाह शरीफ के सज्जाद नशीन नैय्यर मियां ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। तीन तलाक को पवित्र कुरान में अच्छा नहीं बताया गया, फिर भी स्वीकार किया गया है। कुरान के नियमों को बदलने का अधिकार मुसलमानों के पास नहीं है। उन्होंने बताया कि हजरत उमर ने एक वक्त में तीन तलाक पर पचास कोड़े की सजा देते थे पर तलाक को स्वीकार करते थे।

फैजाबाद की जामा मस्जिद टाटशाह के मौलवी गुलाम अहमद सिद्दीकी ने कहा, “हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, पर इस्लाम की अपनी मर्यादा है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता और इस्लाम के मानने वाले शरीयत से बंधे हुए हैं और इस अधिकार की बहाली के लिए वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।”

इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा तीन तलाक के मुद्दे पर सख्त टिप्पणी के बाद मुस्लिम धर्मगुरु कल्वे जव्वाद हालांकि इसको लेकर एक अलग राय रखते हैं। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि सभी उलेमा इस मुद्दे पर एक साथ आएं और तीन तलाक को अवैध घोषित करें।

जव्वाद ने कहा कि समय के साथ शरीया कानून में बदलाव होते रहे हैं और आज वह समय आ गया है कि तीन तलाक पर भी बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब समय-समय पर हज करने के नियमों पर इश्तेहाद (शरीयत कानून में संशोधन) किया जा सकता है तो तीन तलाक के मुद्दे पर क्यों नहीं।

जव्वाद ने कहा, “इस मामले में हम कोर्ट या सरकार के दखलंदाजी से बदलाव नहीं करना चाहते, इसलिए उलेमा को इस पर फैसला लेते हुए इसे अवैध घोषित कर देना चाहिए। हमें शरीया कानून में सरकार और कोर्ट की दखलंदाजी मंजूर नहीं है।”

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