डर के साए में पढ़ने को मजबूर नौनिहाल, आपदा में गिरी दीवार आज तक नहीं बनी !

रिपोर्ट – राकेश पन्त

कोटद्वार : सरकार भले ही सर्व शिक्षा अभियान का नारा दे रही हो | लेकिन धरातल में इसकी स्थिति कुछ और ही है |उत्तराखंड मे डबल इंजन की सरकार  नौनिहालों के भविष्य के प्रति कितनी संवेदनशील है इसका अंदाजा कोटद्वार के इस प्राथमिक विद्यालय को देखकर लगाया जा सकता है |

यह प्राथमिक विद्यालय वर्ष 2017 में आपदा की भेंट चढ़ गया था | 2017 में कोटद्वार का अधिकांश क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया था| जिसमें यह विद्यालय भी शामिल है |

आपदा के दौरान इस प्राथमिक विद्यालय  की सुरक्षा दीवारे बह गई थी | पूरा विद्यालय जलमग्न हो गया था | पानी के साथ आए मलबे को आज तक नहीं हटाया गया | जंगली जानवर दिन में ही स्कूल के आसपास मंडराते रहते हैं |

बरसात के मौसम में केवल 2 महीने से कम का समय रह गया है | लेकिन उसके बावजूद भी सरकार व प्रशासन नौनिहालों के जिंदगी से खिलवाड़ करने पर तुला हुआ है | सरकार की कुम्भकर्ण की नींद तब टूटेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा |

कोटद्वार के नींबूचोड़ में स्थित प्राथमिक विद्यालय की, जो 4 जुलाई 2017 में आई भीषण आपदा की चपेट में आ गया था  | जल प्रलय अपने साथ इस स्कूल की सुरक्षा दीवारों को अपने साथ बहा ले गया |

स्कूल में पढ़ रहे नौनिहालों को अध्यापकों ने किसी तरह बचा तो  लिया मगर आपदा के 2 साल बीत जाने के बाद भी, सरकार और स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के कारण इस स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहाल आज भी डर के साए में पढ़ने को मजबूर हैं |

कुकर्मी शिक्षक : कम नंबर आने पर छात्र के साथ किया टीचर ने कुकृत्य  !

इस उम्मीद में शायद हमारे साक्षर होने के बाद हमारे भी अच्छे दिन आ सके | मगर स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इन गरीब बच्चों के सपनों और सुरक्षा को लेकर कोई लेना देना नहीं है |

क्या कहना है नौनिहालों का –

वहीं नौनिहालों को 4 जुलाई 2017 का वह खौफनाक मंजर आज भी याद है उनका कहना है कि उस दिन हमारे स्कूल के आसपास 4 से 5 फीट पानी जमा हो गया था स्कूल के अध्यापकों ने हमें वहां से निकाला |

पानी का तेज बहाव अपने साथ हमारे स्कूल की सुरक्षा दीवारों को बहा ले गया सुरक्षा दीवार ना होने के कारण आज यहां आवारा पशु कुत्ते और जंगली जानवर घूमते रहते हैं और हमें हमेशा डर सताता रहता है जिस कारण हम यहां खेल भी नहीं पाते कि कहीं कोई जंगली और आवारा पशु हम पर हमला ना कर दे |

क्या कहना है अध्यापिका का –

4 जुलाई के उस तबाही के दिन को याद करते हुए आज भी सिहर उठी  और कहा कि, उस दिन चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था  हमने किसी तरह से  इन बच्चों  को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया |

इस स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों से है जो अपने उज्जवल भविष्य के  सपनों को लेकर यहां पढ़ने आते हैं | मगर यहां की यह दशा देख इन नौनिहालों के अभिभावक भी चिंतित है |

हमनें, विद्यालय की सुरक्षा दीवार के  निर्माण के लिए  स्थानीय जनप्रतिनिधियों  सहित  विद्यालय प्रशासन से कई बार  लिखित रूप में अवगत करा चुके हैं इसके बावजूद भी  शासन और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

 

LIVE TV