झूठा साबित हुआ सरकारों का दावा, पानी के लिए अपने आप को बेच रहे लोग

उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक गांव है नगला माया। इस गांव में पीने के पानी की किल्लत है। काफी कोशिशों के बाद भी अधिकारियों ने गांववालों की नहीं सुनी तो अब गांव के युवकों ने खुद को नीलाम करने का फैसला लिया है। गांव के 50 युवक गणतंत्र दिवस पर खुद को नीलाम करने जा रहे हैं। नीलामी से जो रुपये आएंगे, उससे उनके गांव के हर घर में पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

सूत्रों की मानें तो हाथरस जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां पीने का पानी नहीं है। कई घर ऐसे हैं, जिनके यहां पानी की कनेक्शन तक नहीं है। लोगों का कहना है कि पीने के पानी का समुचित व्यवस्था न होने से यहां तीन लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से मिलकर गांववालों ने कई बार अपनी शिकायत और परेशानी बताई लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। गांव के लोगों ने पीने के पानी की किल्लत की शिकायत राष्ट्रपति तक से की, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

युवकों ने की खुद को नीलामी करने की तैयारी
हर तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद गांव के कुछ युवाओं ने खुद को नीलाम करने की ठानी। युवकों ने युवा जन कल्याण समिति से संपर्क किया। गांव के युवकों ने ‘सभी खरीदार आमंत्रित हैं’ नाम का बैनर बनवाया है। उन्होंने बताया कि 26 जनवरी को वे लोग खुद को नीलाम करने के लिए बैठेंगे। जो भी फंड जुटेगा, उससे गांव में पीने के पानी की व्यवस्था कराई जाएगी। युवकों ने बताया कि नीलामी वाले दिन वे लोग भूख हड़ताल पर भी बैठेंगे।

पानी ने छुड़वाई नौकरी
एमबीए की पढ़ाई कर चुके गांव के युवक चंद्रपाल सिंह ने बताया कि वह भी खुद को नीलाम करने के लिए इस कैंपेन में शामिल हुआ है। उसने कहा, ‘मैं अपने घर का एकलौता बेटा हूं। फरीदाबाद में नौकरी कर रहा था। मेरे माता-पिता मेरे साथ फरीदाबाद जाने को तैयार नहीं हैं। वह गांव में ही रहना चाहते हैं लेकिन गांव में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पिता 70 साल की उम्र में भी तीन किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाते थे, आखिर मुझे अपनी नौकरी छोड़कर यहां वापस आना पड़ा।’

कई किलोमीटर दूर से लाते हैं पीने का पानी
मुहब्बतपुर गांव के प्रधान प्रेमपाल सिंह ने बताया कि यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि हमें स्वतंत्र हुए 72 साल हो गए लेकिन हमारे गांव में आज तक पीने के पानी का प्रबंध नहीं हो पाया। गांव के लोग कई किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाते हैं। गांव में जो पंप लगा है उससे जो पानी आता है वह पीने वाला नहीं होता है।

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हाथरस के डीएम रामशंकर मौर्या ने कहा कि गांवों में पीने के पानी की जो समस्या है, उसके बारे में उन्हें जानकारी है। प्रशासन ने सरकार को प्रस्ताव बनाकर भी भेजा था। उस प्रस्ताव पर कई बार शासन पर संपर्क कर चुके हैं लेकिन वहां कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। डीएम ने कहा कि प्रशासन ने दो अलग-अलग प्रस्ताव बनाकर भेजे थे। इसमें नगला माया और राजनगर सहित 61 गांवों में पीने के पानी का प्रबंध करने का प्रस्ताव था। हमारे स्तर से कुछ भी पेंडिंग नहीं है। शासन को फैसला लेना है और वहां से बजट आते ही हम काम शुरू कर देंगे।

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