जेएनयू में देशविरोधी नारों के खिलाफ 1200 पन्नों की चार्जशीट दर्ज

नई दिल्ली। जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। पुलिस द्वारा चार्जशीट में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के नाम शामिल हैं। कोर्ट पुलिस के चार्जशीट पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। पुलिस तीन साल तक चली जांच के बाद चार्जशीट की कॉपी और अन्य दस्तावेजों को एक ट्रंक में लेकर कोर्ट पहुंची।

1200 पेज की इस चार्जशीट को पुलिस ने अदालत में पेश किया है। पुलिस ने चार्जशीट में कन्हैया और अन्य आरोपियों द्वारा कथित तौर पर लगाए गए 12 नारों की लिस्ट भी शामिल की है। इनमें ‘हम लेके रहेंगे आजादी…, संगबाजी वाली आजादी…, भारत तेरे टुकड़े होंगे…, कश्मीर की आजीदी तक जंग रहेगी…, भारक के मुल्क को एक झटका और दो…, भारत को एक रगड़ा और दो…, तुम कितने मकबूल मरोगे…, इंडियन आर्मी को दो रगड़ा… आदि नारे शामिल हैं।

कन्हैया समेत 10 लोगों के नाम हैं शामिल
चार्जशीट में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया, सैयद उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य, आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, और खलिद बशीर भट के नाम हैं। जांच एजेंसी ने इस केस में पूरी तैयारी के साथ चार्जशीट तैयार की है। इस मामले के गवाहों के बयान सीआरपीसी की ऐसी धारा के तहत दर्ज किए गए हैं कि बयान से पलटने पर उन्हें सजा मिल सकती है। पुलिस ने इसके साथ ही फरेंसिक और फेसबुक डेटा के जरिए भी साक्ष्य जुटाए हैं।

आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला
आईपीसी की धारा 124A, 323, 465, 143, 149, 147, 120B के तहत चार्जशीट फाइल की गई है। कन्हैया ने कहा, ‘तीन साल बाद चुनाव से पहले चार्जशीट फाइल करने के पीछे राजनीतिक मंशा है। मुझे देश की न्यायपालिक में आस्था है।’

पुलिस ने जुटाए हैं पुख्ता सबूत
सुनवाई शुरू होने से पहले दिल्ली पुलिस चार्जशीट को एक बक्से में लेकर पटियाला हाई कोर्ट में पहुंची। रिपोर्ट्स के मुताबिक चार्जशीट करीब 1200 पेजों की है, जिसके सपॉर्ट में कुछ दूसरे दस्तावेज भी हैं। कन्हैया और अन्य 9 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अभी तक की तफ्तीश में पुख्ता सबूत जुटाए हैं। इन्हीं सभी दस्तावेजों को लेकर लोहे के एक बक्से में लेकर पुलिस अदालत पहुंची।

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जांच के मुताबिक, कन्हैया ने 9 फरवरी की शाम प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया। पुलिस ने पाया कि जेएनयू कैंपस में ऐसी किसी भी गतिविधि के लिए ली जाने वाली अनुमति की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गई थी। इन प्रदर्शनकारियों को रोका गया और उन्हें बताया गया कि ऐसे किसी भी कार्यक्रम को करने के लिए उनके पास अनुमति नहीं है।

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