ये हैं 2016 के वह शब्द जो सोशल मीडिया से लेकर हर जुबान पर छाए रहे
नई दिल्ली। 2017 की शुरूआत होने में बस अब कुछ दिन ही शेष हैं। ऐसे में साल 2016 कुछ ऐसे शब्दों के लिए भी जाना जाएगा जो कि देशभर में लोगो की जुबान पर रहे। सबसे अहम बात ये है कि इस साल ने कई शब्दों और मुहावरों को अमर बना दिया, उन्हें जीवंत कर दिया। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही शब्द जो पूरे साल चर्चा का विषय बने रहे :-
सर्जिकल स्ट्राइक : उरी हमले से तंग आकर भारतीय कमांडोज़ ने पीओके में घुसकर आतंकियों को ढेर किया। इस ख़तरनाक ऑपरेशन को अंजाम देकर हमारे जवान सुरक्षित अपनी सीमा में लौट भी आए। इस तरह के ऑपरेशन को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहते हैं।
असहिष्णुता : दादरी घटना के बाद देश के बुद्धीजीवियों ने सरकार को अपने सम्मान यह कह कर लौटा दिए कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है।
भक्त : आराधना करने वाले को भक्त कहा जाता है। इनके समूह को ‘भक्तों’ की संज्ञा दी जाती है। हालांकि, सोशल मीडिया पर लोगों ने इसका अलग मतलब निकाला है। वर्तमान में पीएम के प्रशंसकों को भी भक्त कहा जाता है।
नोटबंदी : 8 नवंबर 2016 को पीए मोदी द्वारा घोषणा की गई कि 500 और 1000 रुपये के नोट अब वैध नहीं रहेंगे। सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद भारत को कैशलेस बनाने की तैयारी हो रही है। इस वजह से डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जियो : रिलायंस कंपनी ने देश में मोबाइल क्रांति लाने की कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने अपने ग्राहकों को 4जी इंटरनेट की फ्री-सर्विस जियो के रूप में दी है।
रियो : साल 2016 के रियो ओलंपिक में बेटियों ने देश का नाम रौशन किया। इस वजह से यह शब्द काफ़ी लोकप्रिय रहा।
बागों में बहार है : सरकार द्वारा एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का बैन लगाए जाने के बाद प्राइम टाइम में दो माइम कलाकारों के साथ यह समझने की कोशिश की गई थी कि जब सरकार को सवालों से समस्या होने लगे तो फिर किस तरह के सवाल सत्ता को खुश करेंगे – जैसे बाग़ो में बहार है? आप बनियान कौन से ब्रांड की पहनते हैं? या आप खाते कितनी बार हैं दिन में? फूल कौन सा पसंद करते हैं, धतूरे का या कनेर का?
नेट नियोट्रेलिटी : मोबाइल और इंटरनेट सेवा में समानता के लिए यह शब्द काफ़ी चर्चा में रहा। दरअसल, कई कंपनियां ग्राहकों से चार्ज लेने वाली थीं, जिसका लोगों ने ख़ूब विरोध किया।
प्रोडुनोवा : एक प्रकार का वॉल्ट है, जिसे भारतीय जिमनास्ट दीपा कर्मकार ने रियो ओलंपिक में लगा कर सबका दिल जीत लिया था। प्रोडुनोवा को ‘वॉल्ट ऑफ डेथ’ कहते हैं।
आजादी : भारत के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारों के कारण यह शब्द चर्चा में आया। कन्हैया कुमार को पुलिस ने जेल में डाल भी दिया था, जिसका छात्रों ने ख़ूब विरोध किया।
कालाधन : पीएम के नोटबंदी के फैसले के बाद यह शब्द चर्चित हुआ था। वैसे रामदेव बाबा भी इसके बड़े हिमायती रहे हैं।
कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा : इस सवाल का जवाब पूरा देश ढूंढ रहा है, जिसका जवाब 2017 में ही सबको मिल पाएगा। अभी तो हम भी कुछ नहीं कर सकते हैं।
सोनम गुप्ता बेवफा है : नोटबंदी के बाद किसी सज्जन ने एक नोट पर यह शब्द लिख दिया था, जिसे लोगों ने सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया।
फॉग चल रहा है : फॉग ने अपने विज्ञापन के लिए इस लाइन का इस्तेमाल किया, जो काफ़ी पॉपुलर है।
जीएसटी : इस शब्द ने सरकार की नाक में दम कर दिया है। यह एक ऐसा बिल है, जो टैक्स से संबंधित है।
अलेप्पो : सीरिया में आतंकी हमले के कारण यह शहर पूरा बर्बाद हो गया। यहां की जनता काफ़ी परेशान हो गई। अभी भी यह शब्द चर्चित है।
डीमोनेटाइजेशन : 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के बदले नए नोट के आने की प्रक्रिया को विमुद्रीकरण कहते हैं।
तैमूर : यह शब्द अभी हाल में ही चर्चा में आया है। सैफ अली खान और करीना कपूर खान ने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा है। यह शब्द इसलिए चर्चा में आया क्योंकि इतिहास में तैमूर को एक क्रूर शासक के रूप में जाना जाता था।