जीन तोड़ेगा डेंगू का डंक, मच्छरों की अब आएगी शामत

जीन नई दिल्ली। मलेरिया, डेंगू और जीका जैसी घातक बिमारियों से बचाव का तरीका अमेरिकी वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है।

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसे जीन का पता लगाया है जो मादा मच्छरों की संख्या घटा सकता है। यह मलेरिया, डेंगू और जीका के नियंत्रण के लिए एक अच्छी खबर है। बुरी खबर यह है कि यह मच्छरों में कई पीढ़ियों के बाद होता है।

मादा मच्छर अपने अंडे देने के लिए मनुष्य के खून पर आश्रित होती है। इसके साथ वे मलेरिया, जीका और डेंगू बुखार आदि जैसी धातक बीमारियों के प्रमुख वाहक भी होती है। यह पत्र ‘जर्नल ईलाइफ’ में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन में पाया गया है कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफेलीज स्टेफेनसी के आटोसोम्स में खास ‘वाई’ वाले गुणसूत्र को रखने से सभी सौ फीसद मादा भ्रूण मर जाते हैं, जो इसे दूसरी पीढ़ी में ले जाते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि जीन की अतिरिक्त कॉपी, जिसे शोधकर्ता ‘जीयूवाई1’ कहते हैं, वह दोनों मादा और नर में चली जाती है, लेकिन नर मच्छर ही जिंदा रहते हैं।

अमेरिका के राज्य विश्वविद्यालय और वर्जीनिया पॉलिटेक्निक संस्थान के प्रोफेसर झियान जेक ने कहा, “जीयूवाई1 प्रोटीन एनोफेलीज स्टेफेन्सी में नर मच्छर तय करने वाला एक मजबूत कारक है।”

अमेरिका के राज्य विश्वविद्यालय और वर्जीनिया पॉलिटेक्निक संस्थान के फ्रेंक क्रिसीओन ने कहा, “जीयूवाई1 जीन की अतिरिक्त कॉपी कुछ मादा मच्छरों को छोड़कर मच्छरों में केवल आधी अगली पीढ़ी में जाती है, जिससे ये जीन अगली पीढ़ी में नहीं जा पाते।”

शोधकर्ताओं का कहना है कि सभी नर मच्छर पैदा करने के लिए पीढ़ी की सभी संतानों में जीयूवाई1 की अतिरिक्त कॉपी सभी में जानी चाहिए। जिसे जीनोम-इडिटिंग के जरिए किया जा सकता है।

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