जियो को टक्कर देने के लिए मैदान में उतरा एयरटेल , दे रहा है धासु ऑफर

नई दिल्ली : मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो को डीटीएच में टक्कर देने के लिए एयरटेल ने तैयारी शुरू कर दी है। जहां एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल ने इसके लिए देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी डिश टीवी का विलय करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है। लेकिन अगर यह विलय होता है तो फिर एयरटेल डिजिटल टीवी देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी बन जाएगी।

जिओ

बता दें की रिलायंस जियो ने हाल ही में देश की दो सबसे बड़ी केबल टीवी कंपनियां– डेन केबल नेटवर्क और हैथवे केबल एंड डाटाकॉम में प्रमुख हिस्सेदारी खरीद ली है। मित्तल अब डीटीएच में भी जियो को कड़ी टक्कर देने के मूड बना चुके हैं।

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देखा जाये तो अभी दोनों कंपनियों (डिश और एयरटेल टीवी) के बीच बातचीत शुरुआती दौर में है। इसके पीछे रणनीति यह है कि विलय के बाद रिलायंस जियो को कड़ी टक्कर दी जा सके। अगर यह विलय होता है तो फिर एयरटेल डिजिटल टीवी और डिश टीवी देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी बन जाएगी। हालांकि दोनों कंपनियों ने फिलहाल कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।

खबरों के मुताबिक पिछले साल मार्च में डिश टिवी ने वीडियोकॉन डीटीएच का अपने में विलय किया था। वहीं एयरटेल ने पिछले साल अपनी डीटीएच कंपनी को टाटा स्काई को बेचने की कोशिश की थी। हालांकि यह बातचीत सफल नहीं हो पाई थी।

वही दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा सितंबर 2018 के आंकड़ों के मुताबिक डिश टीवी की बाजार में 37 फीसदी हिस्सेदारी है। दूसरे नंबर पर टाटा स्काई (27 फीसदी) और तीसरे नंबर पर एयरटेल डिजिटल टीवी (24 फीसदी) है। अगर यह विलय होता है तो फिर दोनों कंपनियों के पास कुल 3.8 करोड़ ग्राहक हो जाएंगे। इसके बाद कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी बढ़कर 61 फीसदी हो जाएगी।

दरअसल 1992 में शुरू हुए जीटीवी समूह को डूबने से बचाने के लिए मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो आगे आ सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जियो ऐसल समूह की आधे से ज्यादा हिस्सेदारी खरीद सकता है।

जी ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा के पास फिलहाल एक महीने का समय है, जिसके दौरान वो अपनी हिस्सेदारी को बेच सकते हैं। जी ग्रुप की हिस्सेदारी खरीदने के लिए अमेजन, एप्पल, टेनसेंट और अलीबाबा के अलावा एटीएंडटी, सिंगटेल, कोमकास्ट व सोनी पिक्चर्स नेटवर्क भी रूचि दिखा रहे हैं। जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज लिमिटेड के प्रमोटर्स अपनी 50 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने जा रहे हैं।

वही राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा ने 1992 में जीटीवी की शुरुआत की थी। तब यह भारत का पहला स्वदेशी निजी सैटेलाइट चैनल था। इसके बाद जी ग्रुप के आज 55 से अधिक राष्ट्रीय व विभिन्न भाषाओं के चैनल हैं।

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