उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी सपा दोनों के विधायकों ने अपनी ही सरकार और ऊर्जा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। बुलंदशहर के सिकंदराबाद से भाजपा विधायक लक्ष्मीराज सिंह ने ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर 15 दिनों से बिजली न होने की शिकायत की, जबकि मेरठ के सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने बिजली कटौती के खिलाफ धरना दिया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी बिजली कटौती को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है।
सिकंदराबाद में बिजली संकट: भाजपा विधायक लक्ष्मीराज सिंह ने 30 मई 2025 को प्रमुख सचिव (ऊर्जा) को पत्र लिखकर सिकंदराबाद, गुलावठी नगर, गुलावठी ग्रामीण, और ककोड़ क्षेत्रों में 15 दिनों से बिजली आपूर्ति ठप होने की बात कही। उन्होंने बताया कि ट्यूबवेल बंद होने से किसानों की फसलें सूख रही हैं, और भीषण गर्मी में ग्रामीण परेशान हैं। विधायक ने अधिकारियों के फोन न उठाने और लापरवाही की शिकायत करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
सरधना में सपा विधायक का धरना: 2 जून 2025 को सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान ने किसानों के साथ पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक का घेराव किया। उन्होंने आंधी-तूफान के बाद लगातार बिजली कटौती की शिकायत की और व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की।
अयोध्या और पूर्वांचल में भी हाहाकार: अयोध्या में 1 जून 2025 को 21 घंटे तक बिजली गायब रहने से लोग परेशान रहे। पूर्वांचल और मध्य यूपी के कई जिलों में बिजली कटौती की शिकायतें आम हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आरोप लगाया कि ग्रामीण इलाकों में केवल 3-4 घंटे बिजली मिल रही है, जिससे लघु और सीमांत किसानों की सब्जी की खेती बर्बाद हो रही है। उन्होंने ऊर्जा मंत्री पर निष्क्रियता का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव का हमला: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजली संकट के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि 8 साल के कार्यकाल में सरकार ने कोई नया पावर प्लांट नहीं लगाया और पारेषण व्यवस्था को मजबूत नहीं किया। इससे ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं और अघोषित कटौती हो रही है। अखिलेश ने दावा किया कि सपा शासन में बिजली उत्पादन और वितरण में सुधार किया गयाස
ऊर्जा विभाग का दावा: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 21.30 घंटे, जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, और बुंदेलखंड में 20 घंटे बिजली आपूर्ति का रोस्टर है। विभाग का कहना है कि ट्रांसफार्मर फुंकने की स्थिति में 24 घंटे में प्रतिस्थापन के निर्देश हैं। हालांकि, ग्रामीणों और विधायकों की शिकायतें इस दावे को खारिज करती हैं।
सामाजिक और क्षेत्रीय संदर्भ: यूपी में बिजली कटौती का मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक विवाद का विषय रहा है। सपा और कांग्रेस ने बार-बार योगी सरकार पर बिजली आपूर्ति में विफलता का आरोप लगाया है। 2023 में अखिलेश ने कहा था कि सपा शासनकाल में बनाए गए पावर प्लांट बंद किए गए, जिससे संकट बढ़ा। बिजली की मांग हाल के दिनों में बादल छाए रहने से 26-27 हजार मेगावाट तक सिमट गई है, लेकिन पुरानी बिजली लाइनों और मशीनरी की कमी से आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया: ऊर्जा विभाग ने दावा किया कि आपूर्ति में कोई कमी नहीं है और समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा रहा है। हालांकि, विधायकों और ग्रामीणों की शिकायतों से साफ है कि जमीनी हकीकत अलग है। सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस बयान जारी नहीं किया है।