जितना झुकोगे, उतना बड़े बनोगे : अक्षय कुमार

मुंबईक्लैश :अक्षय ने ‘जॉली एलएलबी 2’ पर बात करते हुए कहा कि, इन दो फिल्मों के प्रदर्शन की तारीख पहले से तय थी। मुझे लगा कि क्लैश करके कोई फायदा नहीं था। हमें लगा कि 10 फरवरी को आ जाते हैं।

उन्होंने कहा, अब मेरी आगामी फिल्म ‘टॉइलट एक प्रेम कथा’ भी देश को लेकर है। मैं स्वच्छता को लेकर बहुत ही सजग हूं। आज गंदगी हमारे देश में एक बहुत बड़ा मुदा है। उसका सफाया करना बहुत जरूरी है। इसे लेकर ही यह फिल्म बनाने को सोचा।

कई बार ट्रैवल करते हुए मैं देखता हूं कि लोग अपनी गाड़ी या ऑटो से कचरा बाहर फेंक रहे होते हैं। लोग इधर-उधर थूकते और पान पीक रहे होते हैं। मुझे देखकर बहुत दुख होता है।

मेरा घर समंदर किनारे है। आज से तीन-चार साल पहले लोग मेरे घर के पास आकर बहुत ही गंदगी फैलाया करते थे, मगर मैंने भी उन्हें सबक सिखाने की ठानी। वे जब भी गंदगी फैलाते, मैं उन्हीं के हाथों उठवाकर फिंकवाया करता था।

अब मेरे घर के सौ मीटर दाएं और सौ मीटर बाएं कोई भी गंदगी नहीं फैलाता। हां, प्यार-मोहब्बत करनेवाले आते हैं। प्यार की पेंगें बढ़ाते हैं और चले जाते हैं। मुझे उनसे कोई आपत्ति नहीं है

क्या आपको कभी ट्रोलिंग या बैशिंग का शिकार नहीं होना पड़ा?

मैं सोशल मीडिया पर छोटी-छोटी चीजें बनाकर किसी की बुराई करने के लिए नहीं पोस्ट करता हूं। मैं लोगों से कहता हूं कि जिस तरह आप अपने परिवार के बारे में सोचते हैं, अपने आस-पास के बारे में भी सोचो। हम सबका धर्म है कि देश के बारे में सोचें। क्योंकि देश रहेगा तो आप रहोगे। अगर देश ही नहीं रहा तो आप क्या करोगे।

मैं देश और समाज के प्रति अपने छोटे-छोटे हिस्से का योगदान देने में विश्वास हूं। मेरी अकैडमी एक लंबे समय से महिलाओं को आत्म रक्षा की ट्रेनिंग देती आई है। जब भी मौका मिलता है, मैं देश के जवानों के लिए आगे आया हूं। मैं फिल्मों के जरिए भी सामाजिक सरोकार का ध्यान रखता हूं।

अपनी कामयाब शादी का राज ?

अक्षय ने कामयाब शादी का राज दोस्ती को बताया। उन्होंने कहा, आपस में दोस्त रहना बहुत जरूरी होता है। मैंने हमेशा कहा है कि औरतें हम मर्दों का आधारस्तंभ होती हैं। घर में जब भी कोई मसला हो जाए तो औरतें सूझ-बूझ से उसका हल निकाल लेती हैं। वे भले शारीरिक रूप से कमजोर हों, मगर मानसिक तौर पर बहुत मजबूत होती हैं, इसीलिए मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं। मैं हमेशा कहता हूं कि औरतें आसमान से आती हैं जबकि हम मर्द इस जमीं से हैं।

बच्चों के पालन-पोषण में किसका हिस्सा ज्यादा है

बेशक मेरी पत्नी बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाती हैं, मगर कसरत, खेलकूद, तैराकी जैसी चीजों में मैं आगे बढ़कर उनके साथ होता हूं। मैं बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं हूं पर मैंने जिंदगी को बहुत करीब से देखा है, मगर मैं अपना ज्ञान उनपर थोपता नहीं। जिंदगी के बारे में वक्त आने पर खुद सीख जाएंगे।

मैंने उन्हें यही सिखाया है कि सभी को झुककर प्रणाम करो। जितना झुकोगे, उतना बड़े बनोगे। अपने बच्चों को लेकर हर माता -पिता की अपनी सोच होती है। पैरंटिंग का अर्थ होता है, अपने बच्चो को दिशा दिखाना। वे जिस रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते हैं, आपको उस मार्ग पर उनकी सहायता करनी चाहिए।

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