जानें संघर्ष की कहानी जमीन से जुड़े उस IPS की जो खुद को सुर्खीयों में देख भावुक हो गए

कितना अच्छा लगता हैं ना जब कोई अपके बारे में लिखता है, उससे भी ज्यादा अच्छा लगता है जब किसी अखबार में अपके बारे में छपे, और फिर अपके उपर कोई फिल्म बन जाए तो मानो जैसे सोने पर सुहागा, ये हैं ख्वाहिश एक आम आदमी की और जब ये ख्वाहिश पूरी हो जाती हैं तो आम इंसान आम नही रहता।

लेकिन ये ख्वाहिशें पूरी कैसे होंगी?
मेहनत, संघर्ष सब अपनी जगह लेकिन मोटिवेशन एक ऐसी चिज है जो इंसान को पर्वत चढ़ने पर मजबुर कर दें, बस आपको वहीं मोटिवेशन देने आ गए हैं हम एक ऐसी स्टोरी के साथ जिससे सुनने के बाद आप काफी मोटिवेटिड फील करेंगे, जिस इंसान के बारे में हम बात करने वाले हैं वो एक IPS आधिकारी हैं लेकिन बावजुद इसे वो अभी भी अपने जड़ो से जुड़े हुए हैं।

तो आइये डालते हैं एक नजर आईपीएस नवनीत सिकेरा की संघर्ष की कहानी पर और समझते हैं उनको थोरे करीब से

नवनीत सिकेरा उत्तर प्रदेश कैडर के 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में, पुलिस मुख्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश में गृह और कल्याण के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के रूप में सेवारत है।
भौकाल नामक वेबसिरीज के बारे में तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आपको ये पता हैं कि आखिर ये वेबसिरीज किस भौकाली व्यक्ति पर आधारित है? अपको बता दें ये वेबसिरीज खुद आईपीएस नवनीत सिकेरा की कहानी पर आधारित है, और ये खुद में ही बहोत बड़ी बात है।

नवनीत सिकेरा के बारे में और बात करें तो, फैमस होने के बाद भी आपने जड़ों से जुड़े रहने का कोई उदहारण आपको चाहिए तो एक नजर डाल लें नवनीत सिकेरा के इस फेसबुक पोस्ट पर

पिता का मिला हमेशा सपोर्ट-
सेंटर पर पिता ने बढ़ाया बेटे का उत्साह आईपीएस नवनीत सिकेरा अपनी पोस्ट में आगे लिखते हैं कि ‘मैं ललचाई आंखों से उनकी नई-नई किताबों (जो मैंने कभी देखी भी नहीं थी) की ओर देख रहा था और मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहाँ टिक पाऊंगा और एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी। मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और मुझे वहां से थोड़ा दूर अलग ले गए और एक शानदार पेप टॉक (उत्साह बढ़ाने वाली बातें) दी।

मात्र दो छात्रों में चमकी नवनीत की किस्मत-
उस सेंटर से सिर्फ दो छात्र पास हुए, एक थे सिकेरा दबंग आईपीएस नवनीत सिकेरा अपनी संघर्ष और सक्सेस स्टोरी बयां करते आगे लिखते हैं कि ‘पिता ने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है ना कि उस पर लटके झाड़ फानूस पर जोश से भर दिया। मैंने एग्जाम दिया। परिणाम भी आया। आगरा के उस सेन्टर से मात्र 2 ही लड़के पास हुए थे जिनमें एक नाम मेरा भी था। ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता पुत्र (धार के शोभाराम व आशीष) को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें।

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