जानें भारतेन्दु हरिशचंद्र की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले महान साहित्यकार के बारे में कुछ रोचक तथ्य

23 अप्रैल, 1889 को जन्में गंगा प्रसाद श्रीवास्तव हिंदी के विख्यात साहित्यकार के साथ ही रचनात्मक कथाकार, कहानीकार एवं कुशल अभिनेता भी थे। उन्होंने कई नाटकों में कमाल का अभिनय कर सबको चौंका दिया।

जानें भारतेन्दु हरिशचंद्र की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले महान साहित्यकार के बारे में कुछ रोचक तथ्य

अपने समय में वह एकांकी के सशक्त अभिनेताओं में गिने जाते थे। गंगा बाबू के नाम से प्रसिद्ध श्री श्रीवास्तव को साहित्य वारिधि व साहित्य महारथी जैसे अंलकरण से भी विभूषित किया गया।

हार से आगबबूला हुए धोनी, अगर दोबारा की ये गलती तो नहीं बन पाएंगे चैंपियन

छपरा के जिला सारन बिहार में जन्में गंगा प्रसाद बचपन से ही गंभीर स्वभाव के थे तथा आसपास घटित होने वाली घटनाओं को बड़े ही रचनात्मक ढंग से कागज़ पर उतारने की कोशिश में लगे रहते थे। प्रारंभिक शिक्षा छपरा में ही प्राप्त कर के उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय में बी.ए पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। स्नातक करने के उपरांत एलएलबी की परीक्षा पास करके गोण्डा में वकालत शुरु की।

उर्दू साहित्य के उस दौर में गंगा प्रसाद श्रीवास्तव ने लीक से हटकर हिंदी साहित्य को अलग पहचान दिलाने का प्रयास किया। प्रारंभ में वह विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कहानी लेखन करते थे। धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी तो उन्होंने कई नाटक भी लिखे।

लेनोवो ने लांच किया नया स्मार्टफोन Lenovo Z6 Pro, कीमत और खूबियों में है हिट

उन्हें हिंदी के हास्य रस लेखकों में गिना जाता है। हास्य रस की जिस परंपरा को भारतेन्दु हरिशचंद्र ने अंधेर नगरी चौपट राजा में स्थापित किया था उन्होंने उसी हास्य को नई दिशा में विकसित किया। इसके अलावा उन्होंने हिंदी साहित्य की अन्य विधाओं में भी हाथ आज़माया।

उनकी रचनाओं में लंबी दाढ़ी, उलट फेर, काव्य संग्रह नाक झोक, लतखोरी लाल, दिल की आग उर्फ दिल जले की आग, बौछार आदि प्रमुख कृतियां हैं। 30 अगस्त 1976 को उनका निधन हो गया।

LIVE TV