केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 1990 के दशक में मुंबई के बांद्रा में एक दिग्गज फास्ट फूड कंपनी मैकडॉनल्ड में काम करती थीं। मुंबई में संर्घष के समय वह स्मृति मल्होत्रा के नाम से जानी जाती थीं।
जहां इस नौकरी से पहले उन्हें एयर हॉस्टेस की नौकरी के इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया गया था। उनसे कहा गया था कि उनकी “पर्सनालिटी ज्यादा अच्छी नहीं है”।
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अब ईरानी की फास्ट फूड की कंपनी में नौकरी का प्रोविडेंट फंड (पीएफ) सर्टिफिकेट जल्द ही नीलाम किया जाएगा। इससे जो पैसे आएंगे उन्हें महिला कारिगरों के एक समूह को दिया जाएगा।
बता दें की ये नीलामी कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (TEXPROCIL) द्वारा कराई जा रही है। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जिन महिला कारीगरों के समूह को नीलामी से मिलने वाले पैसे दिए जाएंगे, उनकी पहचान की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दरअसल यह सब टेक्सप्रोसिल और ईरानी के बीच 1990 के दशक के उनके मैकडॉन्ल्ड में की गई नौकरी पर बातचीत के बाद शुरू हुआ था। उस वक्त ईरानी को हर महीने 1800 रुपये वेतन मिलता था। यहां काम करने के बाद उन्होंने टेलीविजन का रुख किया था।
देखा जाये तो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सीरियल में काम करने से ईरानी एक जाना पहचाना चेहरा बन गईं। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके पीएफ खाते में पैसा आज भी उसी तरह पड़ा हुआ है। मुंबई स्थित टेक्सप्रोसिल के एक सदस्य ने पहचान ना बताने की शर्त पर कहा कि वह पीएफ सर्टिफिकेट को खुद ढूंढ रहे हैं।
दरअसल उनका कहां हैं की जब हमने उन्हें एक बार बताया कि उनके नाम का अकाउंट मिला है, तो हमने उनसे चर्चा की कि महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए इसे किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
जहां उसी समय इस सर्टिफिकेट की नीलामी का फैसला लिया गया और इससे मिलने वाले पैसौं को मंत्रालय को देने का फैसला लिया गया।”
इस मामले पर मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यह एक योजना है और अभी तक इसे अंतिम स्वरूप नहीं दिया गया है।