नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुमत से भी अधिक सीट हासिल कर एक बार फिर सत्ता अपने नाम कर ली है। अब 30 मई को वह दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
जहां भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद अब नई सरकार के नए एजेंडे को लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं। इस बार खास बात यह होगी कि वह 100 दिन नहीं बल्कि 1000 दिन के एजेंडे पर कार्य करेंगे जिसे 2022 के मध्य तक खत्म करना होगा। यह बात दो अधिकारियों ने बताई है। नरेंद्र मोदी के 1000 दिन के एजेंडे में क्या कुछ शामिल है।
बता दें की देश के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने कई प्रयास किए हैं। 30 मई को शपथ लेने के बाद इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और बड़ा कदम उठा सकते हैं। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार नई औद्योगिक नीति लाने जा रही है। इसके तहत सालाना 6.93 लाख करोड़ रुपये की एफडीआई देश में आ सकती है। बीते साल यह आंकड़ा 4.16 लाख करोड़ रुपये था। केंद्र सरकार का रोजगार के मौके पैदा करने वाली नीतियों पर विशेष जोर होगा। लोगों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने पर भी मंत्रालय का जोर होगा।
दरअसल भारत में किसानों का मुद्दा वर्षों से चलता आ रहा है। कर्ज में डूबे किसानों को इस साल केंद्र सरकार ने 6000 रुपये देने का वादा भी किया था। अब 30 मई को नरेंद्र मोदी द्वारा दोबारा शपथ लेने के बाद किसानों के लिए एक और बड़ा कदम उठाया सकता है। किसानों की समस्या दूर करने के लिए कृषि एक्सपोर्ट नीति में बदलाव किया जा सकता है। बता दें कि नए नियमों के अनुसार किसानों द्वारा किए गए निर्यात पर इंसेटिव्स बढ़ाया जा सकता है।
जहां इसके साथ ही पीएम-आशा जैसी प्रॉक्यूरमेंट पॉलिसी को रिव्यू भी किया जा सकता है। भारत में किसानों का मुद्दा वर्षों से चलता आ रहा है। कर्ज में डूबे किसानों को इस साल केंद्र सरकार ने 6000 रुपये देने का वादा भी किया था। अब 30 मई को नरेंद्र मोदी द्वारा दोबारा शपथ लेने के बाद किसानों के लिए एक और बड़ा कदम उठाया सकता है।
लेकिन किसानों की समस्या दूर करने के लिए कृषि एक्सपोर्ट नीति में बदलाव किया जा सकता है। बता दें कि नए नियमों के अनुसार किसानों द्वारा किए गए निर्यात पर इंसेटिव्स बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही पीएम-आशा जैसी प्रॉक्यूरमेंट पॉलिसी को रिव्यू भी किया जा सकता है।
दरअसल बैंकों के एनपीए को कम करने को लेकर सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। इसके लिए कर्ज के नियमों में बदलाव किया जा सकता है। भाजपा के एजेंडे में बैंकिंग सेक्टर एवं दिवालिया कानून में बदलाव शामिल हैं।
30 मई को शपथ लेने के बाद मोदी सरकार इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड (IBC) में भी संशोधन कर सकती है। सरकार द्वारा इनसॉल्वेंसी मामलों की प्रक्रिया को तेज करने और उनकी लागत घटाने की पहल की जा सकती है। खास बात ये है कि सरकार द्वारा दिवालिया हो चुकी कंपनियों की विदेशी संपत्तियों तक पहुंचना सुनिश्चित किया जा सकता है। इतना ही नहीं, सरकार इनसॉल्वेंसी रेगुलेटर इंडिविजुअल सॉल्वेंसी रेगुलेशंस लाने की भी पहल कर सकती है।
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