च्चों को समय-समय पर फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित होना काफी आम है, खासकर उन स्थितियों में जहां वे खिलौने साझा करते हैं और अन्य बच्चों के साथ खेल खेलते हैं।
फंगल इन्फेक्शन फैलने के लिए यह और भी आसान है, क्योंकि गर्म, आर्द्र स्थिति कवक के लिए एक परिपूर्ण प्रजनन वातावरण के लिए बनाते हैं। हमारी त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है।
धीरे धीरे पुरानी त्वचा हट जाती है और उसकी जगह नयी त्वचा आने लगती है। शरीर पर सफ़ेद धब्बे तब हो जाते हैं जब डेड स्किन सेल्स हटने की बजाए त्वचा की सतह में फंस जाते हैं।
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त्वचा पर कुछ धब्बे मेलानिन के नुकसान से होते हैं क्योंकि यह हमारी त्वचा को रंग प्राप्त कराता है। जहां कुछ धब्बे छोटे होते हैं वहीं कुछ छूने पर परतदार होते हैं। त्वचा पर सफेद धब्बे बढ़ते बच्चों में आम समस्या है।
जहां एक ओर कई धब्बे एक जैसे प्रतीत होते हैं लेकिन उनके कई कारण होते हैं। आइए जानते हैं बच्चों की त्वचा पर इन सफेद धब्बों का कारण क्या है और उसका उपचार कैसे किया जा सकता है।
पिटिरियासिस अल्बा
बच्चों की त्वचा से जुड़ी यह बहुत ही आम समस्या है। इसमें कुछ टेढ़े मेढ़े आकार वाले धब्बे ज़्यादातर गालों, गले और ऊपरी भुजाओं पर उभर आते हैं, ये शरीर के वो हिस्से हैं जो सूरज के संपर्क में ज़्यादा आते हैं। वहीं जिन बच्चों की त्वचा ज़रुरत से ज़्यादा रूखी होती है उन्हें यह समस्या अधिकतर होती है।
उपचार अच्छे मॉइश्चराइज़र या सनस्क्रीन का प्रयोग। डॉक्टर की सलाह के अनुसार टोपिकल स्टेरॉयड क्रीम। कई बार समय के साथ इस तरह के धब्बे अपने आप ही गायब हो जाते हैं।
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टीनेया वेर्सिकलर
टीनेया वेर्सिकलर फंगल इन्फेक्शन के कारण होता है जो बहुत ही हल्का होता है। इसमें धब्बे गर्दन और हाथों पर उभरते हैं। ये ज़्यादातर गर्मियों में ही होते हैं। ज़्यादा पसीना या फिर टाइट कपड़े के कारण यह हो सकता है।
सुपरफिशल यीस्ट इन्फेक्शन
यीस्ट इन्फेक्शन कैंडिडिआसिस कैंडिडा यीस्ट के द्वारा होता है। ये ज़्यादातर नमी वाली जगह पर होता है जैसे डायपर एरिया। इसमें धब्बे नहीं बल्कि रैशेस उभरते हैं जो लाल रंग के होते हैं जिसमें खुजली भी होती है।
विटिलिगो
इसमें इम्यून सेल्स सभी मेलेनिन वेल्स को बर्बाद कर देते हैं। ऐसा शरीर में ऑटोइम्यून डिसफंक्शन के कारण होता है। जब मेलेनिन सेल्स बर्बाद हो जाते हैं तब त्वचा सफ़ेद लगने लगती है।
विटिलिगो हेरिडिटरी होता है। यदि परिवार का कोई सदस्य इसे या फिर किसी अन्य ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित है तो बच्चे को भी यह हो सकता है। विटिलिगो, बाल, भौहों और पलकों को प्रभावित करता है। रेटिना का रंग बिगड़ना और मुँह के भीतरी परत पर सफ़ेद धब्बे इसके लक्षण होते हैं।
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सोरायसिस
इस अवस्था में इम्यून सिस्टम स्किन सेल्स को तेज़ी से बढ़ने को कहता है। यह भी हेरिडिटरी होता है। यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो बच्चों में यह दर्दनाक हो सकता है। उपचार इसका पूरा इलाज संभव नहीं है लेकिन इसमें बेहतर देखभाल की जा सकती है ताकि स्थिति नियंत्रित रहे।
शुरुआत में टोपिकल मेडिकेशन की मदद ली जा सकती है जो बच्चों के लिए एकदम सुरक्षित है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए फोटोथेरपी के साथ अन्य मेडिकेशन भी मददगार साबित होते हैं।
हालांकि त्वचा से जुड़ी समस्याएं बच्चों में आम होती है लेकिन इनका उपचार डॉक्टर्स से सलाह लेकर ही करना चाहिए। साथ ही बच्चों को भी इस बात से अवगत कराना चाहिए कि इस तरह की परिस्थिति में उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा।