जानिए पुराने संसद भवन की ऐतिहासिक प्रासंगिकता, भगत सिंह ने यहीं बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक पहुंचाई थी अपनी आवाज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के नए संसद भवन की नींव की रखी है. इस मौके पर उन्होंने खुशी जताई और देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर भारत सरकार की तरफ से बनने वाली संसद के लिए शुभकामनाएं दी और इसके महत्व को बताया. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वर्तमान संसद भवन सत्ता की चमक-धमक से दूर हो जाएगा. इसकी ऐतिहासिक प्रासंगिकता कभी धुंधली नहीं पड़ सकती है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां से देश ने ‘नियति के साथ साक्षात्कार’ किया था |

लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने बताया कि यह वही भवन है जहां क्रांतिकारी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंक कर ब्रिटिश सरकार तक अपनी आवाज पहुंचानी चाही थी, जहां संविधान को अपना स्वरूप मिला, जहां ब्रिटिश सरकार ने सत्ता सौंपी। यह वही परिसर है जहां पहली बार सांसद के रूप में कदम रखने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माथा टेका था। इन बातों को, घटनाओं को भुलाया नहीं जा सकता है।’

काश्यप ने विश्वास जताया कि इसी भवन में संविधान सभा की बैठकें हुईं, पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश की आजादी के अवसर पर अंग्रेजी में अपना भाषण ‘थ्राइस्ट विद डेस्टिनी दिया था। लोकसभा के एक अन्य पूर्व महासचिव पी. डी. टी. आचार्य का कहना है कि भले ही भविष्य में कदम रखने के लिए नए भवन की आवश्यकता है लेकिन हमें वर्तमान भवन के ऐतिहासिक महत्व और विरासत को बनाए रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि आसपास के भवनों से वर्तमान संसद भवन को ढंकने का कोई भी प्रयास ‘इतिहास के साथ हिंसा’ होगी |

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