जानिए कब रखा जाएगा पहला रोजा, जानें इस पाक महीने क्या हैं कुछ खास…

नई दिल्ली : इस्लाम धर्म का पाक महीना रमजान उल मुबारक 7 मई से शुरू होगा। क्योंकि इस्लामिक धर्म गुरुओं के मुताबिक 5 मई की रात को चांद का दीदार न होने की वजह से पहला रोजा मंगलवार को रखा जाएगा।

रमजान

 

 

वहीं आज तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी। इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान में मोहम्मद साहब को पवित्र कुरान का ज्ञान मिला थ। तभी से रोजा रखा जाता है।

 

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इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार नौवें महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। इस दौरान अल्लाह की नेमत अपने सभी बंदों पर रहती है। 30 दिनों के इस रोजे में नेक काम करने से अल्लाह मेहरबान होते हैं।

सऊदी अरब में रमजान का मुबारक चांद 5 मई को नजर आ जाने पर वहां सोमवार को पहली सेहरी और इफ्तार किया जाएगा। जबकि भारत में आज यानि 6 मई को चांद दिखने के आसार है।

 

इस्लामिक धर्म में रमजान को बरकत का महीना माना जाता है। इसलिए रोजेदार 30 दिनों तक भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह को याद करते हैं। साथ ही अपने गुनाहों की माफी भी मांगते हैं।

जहां रोजा रखने की शुरुआत सुबह सेहरी यानी दिन निकलने से पहले होती है। इसमें रोजेदार अपनी इच्छानुसार खाना खाकर मुंह धोता है। इसके बाद दुआ पढ़ता है। तब से रोजा शुरू हो जाता है। वहीं शाम के समय इफ्तार से रोजेदार अपना रोजा यानी व्रत खोलते हैं। इसमें रोजेदार खजूर और पानी पीकर व्रत खोलते हैं।

रमजान के पाक महीने में पांचों समय की नमाज अदा करना अच्छा माना जाता है। साथ कुरान शरीफ पढ़ने का भी खास महत्व होता है। इसीलिए मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान माह में पाक किताब कुरान की तिलावत करते हैं।

लेकिन रमजान के पवित्र महीने में मस्जिदों में रात में ईशा की नमाज अदा की जाती है। इसके बाद तरावीह नमाज का आयोजन भी किया जाता है। इसमें कुरान शरीफ की आयतों को पढ़ा जाता है।

देखा जाये तो इस्लामिक धर्मग्रंथों के अनुसार रमजान में 30 दिनों तक रखे जाने वाले रोजे को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें प्रत्येक भाग के दस दिन अलग-अलग महत्व के होते हैं। इन्हें अशरे के नाम से जाना जाता है। जहां रमजान के शुरूआती दस दिनों में यानी पहले अशरे में रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत होती हैं।

वही दूसरे अशरे में रोजेदार अपने गुनाहों से उबरने की गुजारिश करते हैं। जबकि तीसरे और आखिरी अशरे में अल्लाह उन्हें जहन्नम की आग से बचाते हैं।

दरअसल रमजान में खजूर खाकर रोजा खोलना अच्छा माना जाता है। क्योंकि बताया जाता है कि मुस्लिम पैगम्बर ने अपना रोजा खजूर खाकर ही खोला था। इसलिए इसे पाक माना जाता है। इसके अलावा खजूर खाने से पूरे दिन प्यास नहीं लगती है।

 

 

 

 

 

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