जानिए इतने बुरे हालात हैं कि लोगों ने साबुन-तेल-मंजन खरीदना कम कर दिया , रिसर्च में हुआ खुलासा…

क्यों इकॉनमी में खपत कम हो रही है? क्यों लोग साबुन-तेल तक खरीदना टाल रहे हैं? क्या ये मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो इन दिनों बाजार से लेकर सरकार तक हिलाए हुए हैं. लोग अपने अंटी का पैसा नहीं निकाल रहे हैं. जो थोड़ी- बहुत बचत है, उसे लोग खर्च ही नहीं कर रहे.

 

 

बतादें की नतीजा, साबुन-तेल-मंजन जैसे सेक्टर यानी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स माने FMCG में भी गिरावट है. मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन ने इस बाबत एक रिसर्च किया.

 

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वहीं फाइनेंशियल ईयर 2019 के पहले तीन महीनों यानी अप्रैल, मई और जून में इस सेक्टर में 10 फीसदी की गिरावट रही. ये गिरावट बीते 9 महीने से देखी जा रही है.

दरअसल सरकारी पॉलिसी और मॉनसून कमजोर होने का असर पड़ रहा है.महंगाई का असर भी लोगों की खरीदारी पर पड़ रहा है. साल की शुरुआत में महंगाई दर 1.9 फीसदी थी. जून में ये बढ़कर 3.18 परसेंट हो गई.गिरावट की सबसे बड़ी वजह है गांवों में पैसे का अभाव. ग्रामीणों की आमदनी में लगातार गिरावट है.ग्रामीण इलाकों में FMCG प्रोडक्ट की बढ़त में दोगुनी गिरावट है. जहां ग्रामीणों की आमदनी घटने की मुख्य वजह से पैदावार का घटना. माने फसल की उपज कम हो गई है. साथ ही बैमौसम बारिश ने भी खेती-किसानी का हाल खराब किया है.

देखा जाये तो FMCG कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए कुछ उपाय कर रही हैं. वे कम दाम वाले छोटे पैक बाजार में उतार रही हैं. कंपनियां अपना डिस्ट्रीब्यूशन भी दुरुस्त करने में जुटी हैं. वे मार्केटिंग पर भी खर्च बढ़ा रही हैं. वहीं आर्थिक सर्वे में सुझाव दिया गया है कि उपज के दाम बढ़ाने होंगे. इसी रास्ते से किसानों और ग्रामीणों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है. इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी. और उपभोग बढ़ेगा.

 

 

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