जानलेवा प्रदूषण पर गम्भीर नहीं बागपत प्रशासन! मौतों का आकलन करनें जुटा स्वास्थ्य विभाग

REPORT- SACHIN TYAGI

बागपत। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के बागपत जनपद में जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण की समस्या अब लोगों के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। हिंडन नदी के प्रदूषण से जहां 55 गांव प्रभावित है और स्वास्थ्य विभाग वहां पर हुई मौतों का आकलन करने में लगा हुआ है। जिसकी रिपोर्ट एनजीटी में भी तलब की गई है, वहीं अब बागपत और खेकड़ा क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित फेक्ट्री भूजल स्तर खराब करने पर उतर आई हैं वहीं कुछ ऐसी फेक्ट्रीया भी हैं जिन्हें प्रदूषण विभाग ने जल प्रदूषण और वायु प्रदूष करने की एनओसी दी हुई है। स्थानीय नागरिकों द्वारा शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है।

ताजा मामले की बात करें तो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर एनजीटी और हाई कोर्ट द्वारा उन सभी फैक्ट्रियों को बंदी के आदेश हैं जिनसे प्रदूषण हो रहा है किसानों की पराली जलाने पर रोक लगाई हुई है। लेकिन प्रशासन के नियम और कानून अपनी ही मर्जी से चलाए जा रहे हैं। एक तरफ किसानों पर मुकदमे दर्ज कर दिए गए। वही बागपत में प्रदूषण करने वाली फैक्ट्रियों को एनओसी देकर प्रदूषण करने की परमिशन दे दी गई है।

खेकड़ा निवासी समाजसेवी प्रमोद गोस्वामी का कहना है खेकड़ा नगर और नगर से बाहर जल प्रदूषण किया जा रहा है और वायु प्रदूषण भी रात के अंधेरे में धड़ल्ले से हो रहा है उनके द्वारा शिकायत की गई है। लेकिन प्रशासनिक अमला कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी आदेश हैं की प्रदूषण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो लेकिन अधिकारी सरकार को बदनाम करने पर जुटे हुए हैं रात के अंधेरे में प्रदूषण करने वाली फैक्ट्रियां प्रशासन की नजर में होने के बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं हो रही। प्रदूषण को लेकर जिलाधिकारी शकुंतला गौतम कैमरे के सामने कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है।

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वहीं जब उनसे प्रदूषण करने वाली फैक्ट्रियों पर कार्रवाई करने की बात कही जाती है तो उनका जवाब है किस प्रदूषण विभाग ने फैक्ट्रियों को एनओसी दी हुई है वही उन पर कार्यवाही करेंगे। लेकिन बागपत जनपद में प्रदूषण विभाग का कोई दफ्तर नहीं है जिसके कारण टीम मेरठ से ही आती है मेरठ से आने वाली टीम फैक्ट्री मालिकों के साथ सांठगांठ तो करती है लेकिन कार्रवाई नहीं करती। नतीजा यह है की बागपत जनपद के लोगों को प्रदूषण विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों ने राम भरोसे छोड़ दिया है जनपद में प्रदूषण का एक्यूआई 300 से ऊपर चल रहा है लेकिन अधिकारी प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं है समाजसेवियों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की बात कही है।

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