जाट आरक्षण पर हाईकोर्ट का ब्रेक

जाट आरक्षणनई दिल्ली। हरियाणा में जाट आरक्षण पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जबाब मांगा है। इस मामले में अब 21 जुलाई को सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने यह रोक सफीदों के शक्ति सिंह की ओर से 23  मई को लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए लगाई। याचिका में शक्ति सिंह ने कहा था कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दवाब में उनको आरक्षण दिया है।

जाट आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था रोक

याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट पहले ही जाटों को आरक्षण देने की नीति को रद्द कर चुका है। राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुका है कि जाट पिछड़े नहीं है। जाट सेना, शिक्षण संस्थानों व सरकारी सेवा में उच्च पदों पर है। ऐसे में उनको आरक्षण देना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 में एक फैसले में कहा था कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

29 मार्च को हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह बिल पास कर सूबे की जाट सहित 6 जातियों को बीसी सी श्रेणी में आरक्षण दिया गया था। इनमें जट सिख, बिश्नोई, त्यागी, रोड, मुल्ला और जाट/मुस्लिम को शामिल किया गया है। विधानसभा सत्र के बाद यह बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। राज्यपाल के हस्ताक्षर के साथ ही यह प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी।

राज्य में वर्षों से जाट समुदाय की आरक्षण की यह मांग थी। दिल्ली में जंतर-मंतर पर इकट्ठे हुए जाट नेता भी इस बात की मांग कर रहे थे कि हरियाणा सरकार इस विधेयक को जल्द से जल्द अधिसूचित करे। बढ़ते दबाव और चारों ओर से सरकार पर टिकीं जाट नेताओं की नजरों को देखते हुए यह विधेयक अधिसूचित हो गया है। सरकार की ओर से बीसी सी श्रेणी में जाट सहित 6 जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान तय किया गया है।

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