जल्द लगने वाला है साल का दूसरा सूर्यग्रहण, तबाही और सुनामी के आसार, ये होगा भारत पर असर !

जल्द ही साल का दूसरा सूर्यग्रहण लगने वाला है. यह ग्रहण आज रात 10 बजकर 25 मिनट से लेकर कल सुबह 03 जुलाई 03.20 बजे तक बना रहेगा. इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग 04 घंटे 55 मिनट की रहने वाली है.

इस बार अर्जेंटीना और चीली जैसे देशों में ही पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा. जबकि उरुग्वे, पराग्वे, इक्वाडोर और ब्राज़ील के इलाकों में लोग आंशिक सूर्य ग्रहण ही देख पाएंगे.

वहीं भारत में रात का समय होने की वजह से लोग सूर्य ग्रहण बिल्कुल नहीं देख पाएंगे. बता दें, सूर्य का प्रकाश जब चंद्रमा की वजह से पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है तो उसे सूर्यग्रहण कहा जाता है.

आज 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण लग रहा है जबकि 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ज्योतिष के अनुसार दोनों महत्वपूर्ण सौरमंडलीय घटनाओं की वजह से जुलाई का महीना प्राकृतिक आपदाओं से भरा रह सकता है.

इस महीने भूकम्प, सुनामी, ज्यादा वर्षा और सूखे के अतिरिक्त पृथ्वी पर सूक्ष्म परिवर्तन भी देखने को मिल सकते हैं. इतना ही नहीं धरती के गुरुत्वीय बल में हलचल की आशंका सैटेलाइट्स तक को भी प्रभावित कर सकती है.

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि सूर्य और चंद्र ग्रहण बनना असाधारण खगोलीय घटना है. राहु-केतु वो छायाग्रह हैं जिनके जुड़ाव में सूर्य और चंद्रग्रहण बनते हैं.

 

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ये सौरमंडल के वो नोडल पाइंट हैं जहां पृथ्वी और चंद्रमा सूर्य की एक सीध में आकर ऑटो-करेक्शन लेते हैं. इसमें चंद्र व पृथ्वी की कक्षाएं सुव्यवस्थित होती है.

इनमें अन्य सौरमंडलीय ग्रहों का भी योगायोग प्रभाव भी असर डालता है. इससे भूकंप, चक्रवात, ज्वालामुखी व सुनामी की आशंका के अलावा उपग्रहों और विमानों से जुड़ी गड़बड़ी होने की आशंका भी बढ़ जाती है.

ज्योतिषानुसार यह प्रभाव हर जीव और जड़ पर पड़ता है. इसी कारण ग्रहण में शारीरिक-मानसिक परिश्रम से बचने सलाह दी जाती है. अग्निकर्म व मशीनरी के प्रयोग को त्याज्य माना जाता है.

सनातनी परम्परा में देवदर्शन और यज्ञादि कर्म निषेध रखे जाते हैं. सहज मुद्रा में भजन-कीर्तन और जप के माध्यम से ईश्वर को याद किया जाता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा की इस भविष्यवाणी के अनुसार इन ग्रहणों के प्रभाव से दुनिया में भीषण घटनाएं घट सकती हैं. उदाहरण के लिए इसकी वजह से अति वर्षा, तूफान, ज्वालामुखी विस्फोट, ग्लेशियर पिघलना, बाढ़ और कीट-सृप का प्रकोप बढ़ सकता है.

इतना ही नहीं देश में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ सकता है. मानव निर्मित सैटेलाइट्स तक अनियंत्रित हो सकते हैं. यहां तक की विमानों के परिचालन में भी अवरोध आने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

भारत के कई महत्वपूर्ण भाग भूकंप के प्रति अतिसंवेदनशील हैं. 2001 में कच्छ का भूकंप ग्रहण के प्रभाव से ही आया था. इससे भारतीय उपमहाद्वीप का बड़ा भू भाग हिल गया था.

ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा बताते हैं कि पृथ्वी अपने परिक्रमा पथ पर बेहतर ढंग से घूमती रहे इसके लिए ऑटो करेक्शन की प्रक्रिया से गुजरती है. हालांकि यह सुधार प्रक्रिया किसी में राशि में बने सूर्य और चंद्र ग्रहण के प्रभाव से हो सकती है.

जुलाई माह में ग्रहण की स्थिति दो बार बन रही है. ग्रहण में गुरुत्वीय बदलाव की आशंका बढ़ जाती है. 31 जनवरी 2018 को खग्रास चंद्रग्रहण के दिन ही चीन में भूकंप आया था. सौभाग्य से उस समय कोई बड़ा नुकसान होने से बच गया. आज 2 जुलाई को लगने वाले सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा.

लेकिन गुरुत्वीय प्रभाव के नजरिए से भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया में भी हलचल होने की आशंका है. ऐसी स्थिति का निर्मिति जुलाई माह में कभी भी हो सकती है. कारण, 16 जुलाई को चंद्रग्रहण भी लग रहा है. वह भारत में मान्य और दृश्य है.

ऐसा ही एक उदाहरण 26 दिसंबर 2004 को भी देखने को मिला था. जब भारत के दक्षिणी राज्यों में सुनामी ने जबरदस्त तबाही मचाई थी. 9.1 तीव्रता से आए इस भूकंप में प्राकृतिक आपदा से लगभग 2 लाख 30 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इस सुनामी से इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका समेत 14 देश प्रभावित हुए थे.

 

उपाय-

अतः जुलाई माह में बांध, पुल, भवन आदि के निर्माण को रोका और धीमा किया जाना चाहिए. इमारतों को सुरक्षा नियमों पर परखा जाना चाहिए. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के तरीकों को प्रचारित किया जाना चाहिए. लोगों को ग्रहण के असर से डरने की जगह इसके असर को समझने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए.

 

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