जमाने से लड़कर की थी जयपुर की राजकुमारी ने शादी, क्यों ले लिया तलाक

जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी ने अपने पति नरेंद्र सिंह से तलाक ले लिया है. एक जमाना था कि उनके प्रेम विवाह ने राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में सनसनी फैला दी थी. उन्होंने आम आदमी नरेंद्र सिंह से कोर्ट में गुपचुप शादी कर ली थी. तब उनके पैरेंट्स इस शादी के खिलाफ थे. आखिर क्या हो गया कि शादी के 21 साल बाद दोनों को तलाक लेना पड़ गया.

राजकुमारी दीया बीजेपी की विधायक रह चुकी हैं, लेकिन इस बार उन्होंने पारिवारिक प्राथमिकताओं के कारण चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. बताते हैं कि वो उनके पति नरेंद्र चार-पांच साल से अलग रह रहे थे. दोनों के बीच मनमुटाव के बारे में ज्यादा पता नहीं लग पाया. लेकिन कहा जाता है कि कई मुद्दों को लेकर उनमें अनबन इतनी गहरी हो गई कि दोनों ने अपने रास्ते अलग करने शुरू कर दिये. हालांकि एक जमाना जब जमाने से लड़कर राजकुमारी दीया ने आम आदमी नरेंद्र से शादी रचाई थी.

जब उनकी प्रेम कहानी करीब 21 साल पहले मीडिया में सामने आई और ये पता लगा कि उन्होंने माता-पिता की मर्जी के बगैर दिल्ली में गुप्त तरीके से कोर्ट मैरिज कर ली, तब ये कहा जा रहा था कि नरेंद्र उनके यहां अकाउंट डिपार्टमेंट में थे. मीडिया में ये भी कहा गया कि वो उनके ड्राइवर थे.

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हालांकि राजकुमारी ने बाद में अपने ब्लॉग के जरिए मीडिया की इन कयासबाजियों को गलत बताया था. दीया कुमारी जयपुर के पूर्व महाराज सवाई भवानी सिंह व पद्मिनी देवी की इकलौती संतान हैं. उन्होंने 2013 में बीजेपी के टिकट पर सवाईमाधोपुर से विधानसभा चुनाव जीता था. दीया कुमारी ने अपनी पढ़ाई मॉडर्न स्कूल नई दिल्ली और महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल जयपुर से की थी. आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन चली गई थीं.

दीया कुमारी और नरेंद्र सिंह के दो बेटे पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज सिंह और बेटी गौरवी है. दीया अपनी पारिवारिक विरासत सिटी पैलेस और जयगढ़ किला समेत अन्य इमारतों और हेरिटेज के सरंक्षण का कामकाज भी संभालती हैं. दीया कुमारी की शादी अगस्त 1997 में हुई थी. उसके बाद उन्होंने एक ब्लॉग के जरिए अपनी प्रेम कहानी दुनिया के सामने रखी थी.

उनका कहना था, जिस तरह मीडिया कयासबाजी लगा रहा था, उसे मैं नापंसद करती हूं, उन्हें उस शख्स के बारे में कुछ नहीं मालूम, जिससे मैं मिली और मैने उन्हें जीवनसाथी बनाने का फैसला किया. उनका कहना था कि बेशक मैं राजघराने से ताल्लुक रखती हूं, लेकिन मैंने हमेशा बाहर की दुनिया में अपने दोस्त बनाए. मेरे पेरेंट्स ने मुझे खुले माहौल में पाला, तभी मैं तमाम तरह के लोगों से मिल पाई और दोस्त बनाए. मैं सामान्य लड़की की तरह रही हूं.

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा था, जब मैं 18 साल की थी, तब मैं पहली बार नरेंद्र सिंह राजावत से मिली. ना तो वो हमारे यहां कैशियर थे और ना ही मेरे एडीसी या शौफर, जो मुझे शॉपिंग के लिए ले जाता था. मीडिया ने ये बेसिर-पैर की बातें लिखीं.

मेरी शादी किसी परीकथा की तरह जरूर थी. लेकिन मेरे पति सामान्य शख्स नहीं थे. बल्कि वो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. अपनी उसी पढाई के सिलसिले में उन्होंने हमारे एसएमएस म्युजियम ट्रस्ट के अकाउंट सेक्शन में ज्वाइन किया था ताकि वो वहां अनुभव ले सकें और साथ अपना नॉलेज बढ़ा सकें. इस डिपार्टमेंट में वो तीन महीने रहे. उसके बाद उन्होंने अपना खुद का कंस्ट्रक्शन बिजनेस शुरू किया. ये कहना कि मेरे पेरेंट्स ने उन्हें कंट्रक्शन बिजनेस शुरू करने के लिए मोटा धन दिया ताकि उन्हें सामाजिक तौर पर हैसियत वाला दिखाया जा सके, इसमें कोई सच्चाई नहीं है.

 

पहली बार जब हम महल में मिले थे तो हमारे बीच कोई पहली नजर वाला प्यार नहीं हुआ था. मैं फर्स्ट साइट लव में विश्वास भी नहीं करती. इसके बाद हमारी कई मुलाकातें हुईं. तीन महीने बाद जब वो अकाउंट डिपार्टमेंट की ट्रेनिंग खत्म करके चले गए, तो मुझे लगा कि मैं उनसे बार-बार मिलना चाहती हूं. जब भी वो जयपुर आते, तब हम किसी कॉमन दोस्त के यहां मिलते. अब तक हम लोगों की दोस्ती ज्यादा मजबूत हो चुकी थी. मैं जब पेरेंट्स के साथ विदेश गई तो मैं उन्हें मिस करने लगी. मुझे उनकी याद आती थी, तब मुझे अहसास हुआ हमारा रिश्ता दोस्ती से कहीं ज्यादा गहरा है. मैं चाहने लगी कि वो हमेशा मेरे पास रहें. तभी मुझे महसूस हुआ कि मैं उनसे प्यार करने लगी हूं. जब मैने इस बारे में मॉम से बात की, तो उन्हें झटका लगा, वो अपसेट हो गईं. वो चाहती थीं कि मेरी शादी किसी राजघराने में ही हो. उन्हें उम्मीद था कि मैं इस प्यार को भूल जाऊंगी. उन्होंने पिता को इस बारे में नहीं बताया.

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