दस हजार न देने पर इलाज से किया मना, जच्चा-बच्चा की मौत

बांदा। उत्‍तर प्रदेश के युवा मुख्‍यमंत्री अपने द्वारा किये गये विकास कार्यों का दम भरते नही थकते। चाहे वह समाजवादी एंबुलेंस हो या जननी सुरक्षा योजना। पर हकीकत इसके उलट ही है। ताजा मामला हैं बुंदेलखंड के बांदा जिले का जहां एक जच्चा-बच्चा की मौत के लिए परिजनों ने जिला अस्पताल कर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अस्पतालकर्मियों ने पैसे के लिए मरीज का इलाज नहीं किया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। ओरन गांव निवासी राजकरन ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी फूलकुमारी की मौत अस्पताल के गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण तीन नवम्बर को हो गई।

जच्चा-बच्चा की मौत

राजकरन ने कहा, “बांदा जिला चिकित्सालय की नर्सो ने इलाज के लिए 10 हजार रुपये मांगे थे। बिना पैसे मरीज का इलाज नहीं किया, जिसके कारण फूलकुमारी की अस्पताल में मौत हो गई।”

राजकरन ने कहा, “फूलकुमारी (30) को तीन नम्बर को रात आठ बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उसे पास के प्राथामिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए। वहां से उसे बांदा जिला चिकित्सालय ले जाने को कहा गया। एम्बुलेंस नहीं मिला। सार्वजनिक बस से तीन घंटे का सफर कर जिला अस्पताल पहुंचे। वहां नर्सों ने 10 हजार रुपये मांगे। हम पांच हजार रुपये ही दे पाए। नर्सों ने फूलवती का इलाज नहीं किया, और नवजात का सिर बाहर निकल आया और नवजात और गर्भवती की मौत हो गई।”

घटना से बुरी तरह आहत राजकरन कहते हैं, “पत्नी के इलाज के पैसों के लिए मारा-मारा घूमा। आधे पैसे जुटा पाया था, पर आधे पैसे नहीं दे पाने के कारण मेरी पत्नी को मर जाने दिया गया।”

इस घटना पर बांदा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जी.एस. वाजपेई ने कहा, “गर्भवती के गर्भ में ही बच्चा मर गया था। गर्भवती सेप्टिसेमिया से पीड़ित थी।”

नर्सों के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा, “अभी परिवार की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है। अगर कोई शिकायत आती है, तो हम जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।”

LIVE TV