जगत गुरु रामभद्राचार्य को मिली डीलिट् मानत की उपाधि

Report – Vinod Kumar

चित्रकूट- भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में विश्व के प्रथम दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले पदम विभूषण से अलंकृत जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य को आज ऋषि पंचमी और संस्कृत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, मध्यप्रदेश के कुलपति प्रो0 कपिल देव मिश्र एवं विधान परिषद के सदस्यों द्वारा डी0 लिट0 की मानद् उपाधि प्रदान की गयी।

को अपना ध्येय वाक्य मानने वाले श्रीतुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में विश्व के प्रथम दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना करने के साथ-साथ विकलांगों को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बना विकास की मुख्यधारा से जोडने का ऐतिहसिक कार्य किया है। बचपन में नेत्रहीन हो चुके जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य आज हजारों लोगों को ज्ञान और शिक्षा की ज्योति बांट रहे हैं।

उनका जन्म सन 1950 में मकर संक्राति को जौनपुर जिले में हुआ था लेकिन जब वे मात्र दो माह के थे तो एक रोग ने उनके आंखों की रोशनी ले ली। वे तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं लेकिन जगद्गुरु जी की स्मरण शक्ति ने उनको वह सम्मान दिलाया जो बहुत कम लोगों को मिलता है।

5 वर्ष की उम्र में उन्होंने गीता के सभी श्लोक और 7 वर्ष में पूरी रामचरित मानस कंठस्थ कर ली। यह सब उन्होंने बिना ब्रेल का उपयोग किये ही पूरा किया। जगद्गुरु जी युवा अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु बन गए।

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने 1996 को दृष्टिहीन बच्चों केलिए तुलसी प्रज्ञाचक्षु विद्यालय की स्थापना की। उन बच्चों को उच्च शिक्षा को वर्ष 2001 में विश्व का पहला विकलाग विश्वविद्यालय खोला।

जिसमें विकलाग विद्यार्थियों को अधिकाश सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं। उनके आश्रम परिसर में प्रज्ञाचक्षु, मूक-बधिर एवं अस्थि विकलाग बच्चों के लिए प्राथमिक पाठशाला से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक विद्यालय भी चलता है। अध्ययनरत सभी बच्चों को आवास, भोजन, वस्त्र सुविधाएं भी मुफ्त प्राप्त हैं। उनकी छत्र छाया में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चें विभिन्न जाति व धर्म से सम्बंध रखते हैं।

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जात-पात के भेद से परे विकलाग देव की सेवा में लगे स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं कि भगवान की कोई जाति नहीं होती। विकलाग मेरे भगवान हैं तो इनमें जाति कैसे हो सकती है। पदम विभूषण से अलंकृत जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को ऋषि पंचमी और संस्कृत दिवस के अवसर पर 3 सितम्बर को आयोजित कार्यक्रम में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर, मध्यप्रदेश के कुलपति प्रो0 कपिल देव मिश्र एवं विधा परिषद के सदस्यों द्वारा डी0 लिट0 की मानद् उपाधि प्रदान किये जाने की खबर से विश्वविद्यालय के छात्रों-कर्मचारियों में खुशी की लहर है।

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