जानिए, छठ मैय्या को प्रसन्न करने का पूरा विधि विधान

छठ पूजा लोक आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध छठ पूजा दिवाली के 6 दिन बाद मनाई जाती है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ पूजा बहुत धूम-धाम से मनायी जाती है. यह त्योहार साल में दो बार आता है. इस व्रत को पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. यह त्योहार तीन दिन तक चलता है. इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती है. इस बार छठ पूजा 26 अक्टूबर को पड़ रही है.

ऐसी मान्यता है की जब पांडव जुएं में अपना सारा राज-पाट हार गए थे, तब द्रौपदी ने यह व्रत कर मनोकामना मांगी थी. इस व्रत और पूजा को करने से उनकी मनोकामना पूरी हो गयी थी. तब से यह व्रत रखने की प्रथा चलने लगी. बहुत सी औरतें इस व्रत को कर छठी देवी को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं. माना यह भी जाता है कि सूर्य देव और छठी देवी के बीच भाई-बहन का रिश्ता है.

आइये बताते हैं आपको छठ पूजा 2017 का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में:

छठ पूजा चार दिनों तक की जाती है. इस व्रत शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होती है और ये कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है. एस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं. व्रत के समय लोग अन्न तो क्या पानी भी नहीं पीते हैं.

छठ पूजा में कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं. इस दौरान छठी मां को लड्डू, खीर, फल और कस्टर्ड जैसे व्यंजन के भोग लगाये जाते हैं. छठ में कई प्रकार की पारंपरिक मिठाई भी बनाई जाती है. छठ के प्रसाद में लहसुन और प्याज का प्रयोग निषेध है.

इस बार छठ पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय सुबह 6:41 से शान 6:05 मिनट तक है.

व्रत विधि

कथा अनुसार छठ देवी सूर्यदेव की बहन हैं. उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण भगवान सूर्यदेव की आराधना और उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को पूर्ण करते हैं. इस पर्व में पहले दिन घर की साफ़-सफाई की जाती है और शुद्ध भोजन बनाया जाता है. दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या का अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदयमान सूर्य को उषा अर्धी देते हैं.

मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति इस महापर्व को पूरी आस्था और निष्ठा से विधिपूर्वक पूर्ण करता है तो निसंतानों को संतान प्राप्ति और होती है और सारे दुखों और पाप से मुक्ति मिलती है.

 

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