चीनी मिल मालिकों के सामने किसान परेशान, प्रशासन मौन, दबाए अरबों रुपए

रिपोर्टप्रशांत मिश्रा

लखीमपुर खीरी । आज हमारा देश की परिस्थतियां इतनी तेजी से बदल गयी हैं कि हर किसी के समझ से परे हो गया है और उसी देश में अपनी हाड़ तोड़ मेहनत से देश के हर नागरिक का पेट भरने वाला अन्नदाता बहुत ही मुश्किल में दिखाई पड़ रहा है ।सरकारी मशीनरी की लापरवाही और चीनी मिल मालिकों की हठ हमारे अन्नदाता किसानों के जीवन पर भारी पड़ने लगी है ।

चीनी मिल

खून पसीने की कमाई से उपजाई गई फसल को बेचने के बाद उसका भुगतान पाने के लिए तराई का गन्ना किसान चीनी मिल के अधिकारियों की गणेश परिक्रमा कर रहा है, लेकिन संवेदनहीन हो चुके चीनी मिल प्रबंधन को यह सब दिखाई नहीं पड़ रहा है ।जबकि देश की रीढ़ कहे जाने वाला अन्नदाता की कमर टूटी जा रही है हम इसे गन्ना किसान का दुर्भाग्य ना कहे तो क्या कहे योगी सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक गन्ना किसानों को बकाया भुगतान नहीं मिल सका है जिसके चलते अन्नदाता आज दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है ।

आदेश योगी सरकार का हो या फिर मोदी सरकार का लेकिन चीनी मिल मालिकों की मनमानी के सामने बौना दिखाई दे रहा है तभी तो शायद पेराई सत्र के दो माह बीत जाने के बावजूद भी चीनी मिल मालिकों ने किसानों का बकाया पद्रह अरब रुपए का गन्ना भुगतान अभी भी दबाए बैठी है, अपनी रकम पाने के लिए गन्ना किसान चीनी मिल मालिकों से लेकर सरकारी मशीनरी तक की गणेश परिक्रमा करने में जुटा हुआ है ।

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चीनी मिल मालिकों द्वारा गन्ना किसानों के प्रति बढ़ती जा रही इस संवेदनहीनता का परिणाम साफ दिखाई दे रहा है गन्ना किसान की हालत यह हो गयी है कि भुगतान ना मिलने के कारण वह ना तो अपनी बहन बेटियों के हाथ पीले कर पा रहे हैं और ना ही दोबारा अपनी फसलों की सिंचाई और खाद दे पा रहा है ।यहां तक की अन्नदाता अपने बच्चों की फीस अदा करने में भी असमर्थ दिखाई पड़ रहा है ।लेकिन विडंबना की बात या है कि इस खराब सिस्टम का दिल गन्ना किसानों की दुर्दशा पर जरा सा भी नहीं पसीज रहा है ।

आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी जनपद भौगोलिक रूप से यूपी का सबसे बड़ा जनपद है यहां नेपाल से आने वाली तमाम नदियों हर वर्ष बाढ़ की भीषण तबाही मचाती है इसलिए यहां का किसान अन्य फसलों की खेती करने के बजाय अधिकतर गन्ने की खेती करता है ।ऐसा माना जाता है कि बाढ़ का पानी गन्ने की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाता है यही नहीं गन्ने के उत्पादन के लिए लखीमपुर खीरी को चीनी का कटोरा भी कहा जाता है ।

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आपको यह भी बता दे कि लखीमपुर खीरी में 9 चीनी मिलें स्थापित है जिन्होंने विगत पिराई सत्र दो हजार अट्ठारह/ उन्नीस में गन्ना किसानों से 12227.55 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद की थी जिसके एवज में चीनी मिल मालिकों को 39 अरब 41 करोड़ 44 लाख 31 हजार रुपए का भुगतान किया जाना था लेकिन अभी भी चीनी मिलें किसानों का 15 अरब 6 करोड़ 31 लाख रुपए दबाए बैठी है इसमें से सबसे ज्यादा बजाज ग्रुप की गोला,पलिया और खंभारखेड़ा के साथ गोविंद शुगर मिल ऐरा पर करीब 12 अरब रुपया किसानों का गन्ना भुगतान बकाया है फिलहाल इस मुद्दे को लेकर हमारे संवाददाता ने जिला अधिकारी शैलेंद्र सिंह और गन्ना अधिकारी बृजेश पटेल से बात कर किसानों का बकाया गन्ना भुगतान ना होने का कारण पूछा तो अधिकारियों ने अपने अपने तर्क व्यक्त किए लेकिन गन्ना किसान भुगतान ना पाने के चलते काफी मुश्किल में दिखाई पड़ रहा है पर अब देखने वाली बात यह होगी कि अब गन्ना किसानों का बकाया भुगतान आखिर कब होगा और कब हमारा अन्नदाता इस नीरस भरी जिंदगी से मुक्त होगा ।

 

 

 

 

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