देश में नहीं हुई जिस मूवी की कदर, ग्लासगो अवार्ड में दिखी उसकी चमक

ग्लासगो फिल्म फेस्टिवलग्लासगो। डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया था। ग्लासगो फिल्म फेस्टिवल-2017 में उसी फिल्‍म को ऑडिएंस अवार्ड से नवाजा गया।

देश में जिस फिल्‍म पर बैन लगा उस फिल्‍म को बाहर अवार्उ मिलने पर डायरेक्टर बहुत खुश हैं। डायरेक्टर का कहना हे कि अवार्ड मिलने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था। यह अवार्ड स्कॉटिश एक्‍टर डेविड टेनेंट द्वारा डायरेक्टर को दिया गया।

प्रकाश झा द्वारा प्रोड्यूसर की गई फिल्‍म में कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक जेसी एक्‍ट्रेस हैं। फिल्‍म की कहानी चार महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है,जो अपने-अपने तरीके से खुलकर जिंदगी जीना चाहती हैं। भारत की केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इस फिल्म को 23 फरवरी को अत्‍यधिक महिला प्रधान फिल्‍म और अपशब्दों के इस्तेमाल की वजह से बैन कर दी गई थी।

अलंकृता श्रीवास्तव ने कहा कि “मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं कि ग्लासगो फिल्म फेस्टिवल में ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ ने स्कॉटरेल ऑडियंस अवार्ड जीता है। फिलहाल जबकि महिला दृष्टिकोण के साथ बनी महिला प्रधान इस फिल्म को भारत में प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया गया है, मुझे लगता है कि यह अवार्ड मिलने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था।” उन्होंन बताया कि इस अवार्ड से उन्हें उम्मीद और हौसला मिला है।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के के द्वारा फिल्‍म को बैन करने पर बॉलीवुड हस्तियों ने इस फैसले की पुरजोर निंदा की थी। गोविंद निहलानी, फरहान अख्तर, विवेक अग्निहोत्री, पूजा भट्ट, सुशांत सिंह, आलिया भट्ट ने फैसले की आलोचना की थी।

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