गोवेर्धन पर्वत क्यों हो रहा है हर दिन छोटा, क्या है इसके पीछे की वजह ? जानिए यहाँ

शकुन्तला

मान्यता अनुसार श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। तभी से इस त्योहार को मनाने की परम्परा की शुरुवात हुई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक समय इस पर्वत की ऊंचाई इतनी थी कि इससे सूरज भी छुप जाता था। लेकिन आज हर दिन ये पर्वत मुट्ठीभर छोटा होता जा रहा है

आज से 5000 साल पहले इस पर्वत की ऊंचाई 30,000 मीटर हुआ करती थी जो अब घटकर सिर्फ 25-30 मिटेर ही रह गयी है। इसके रज घटने के पीछे एक बहोत ही रोचक कहानी है। कहा जाता है कि पुलस्त्य ऋषि के शाप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी रोज प्रति वर्ष कम होता जा रहा है।

इस पर्वत की परिक्रमा कर लोग भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं। इसकी परिक्रमा के दौरान 7 किमी का हिस्सा राजस्थान में आता है और बाकी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। एक धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि पुलस्त्य गिरिराज पर्वत के नजदीक से होकर गुजर रहे थे. इस पर्वत की खूबसूरती उन्हें काफी रास आई. ऋषि पुलस्त्य ने द्रोणांचल से आग्रह किया कि मैं काशी रहता हूं और आप अपना पुत्र गोवर्धन मुझे दे दीजिए. मैं इसे काशी में स्थापित करना चाहता हूं। द्रोणांचल ये बात सुनकर बहुत दुखी थे. हालांकि गोवर्धन ने संत से कहा कि मैं आपके साथ चलने को तैयार हूं. लेकिन आपको एक वचन देना होगा. आप मुझे जहां रखेंगेमैं वहीं स्थापित हो जाउंगा. पुलस्त्य ने वचन दे दिया. गोवर्धन ने कहा कि मैं दो योजन ऊंचा हूं और पांच योजन चौड़ा हूं, आप मुझे काशी कैसे लेकर जाएंगे।पुलस्त्य ने जवाब दिया कि मैं तपोबल के जरिए तुम्हें हथेली पर लेकर जाउंगा।रास्ते में जब बृजधाम आया तो गोवर्धन को याद आया कि भगवान श्रीकृष्ण बाल्यकान में लीला कर रहे हैं. गोवर्धन पर्वत पुलस्त्य के हाथ पर धीरे-धीरे अपना भारबढ़ाने लगा, जिससे उसकी तपस्या भंग होने लगी. ऋषि पुलस्त्य ने गोवर्धन पर्वत को वहीं रख दिया और वचन तोड़ दिया। ऋषि की लाख कोशिशों के बाद भी पर्वत हिला नहीं। इसके बाद गुस्से में ऋषि ने पर्वत को शाप दिया कि तुम्हारा विशालकाय कद रोज कम होगा। माना जाता है कि उसी समय से गिरिराज जी वहां हैं और कम होते जा रहे हैं।

इस पर्वत की परिक्रमा का लोगों में काफी महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति चारों धाम की यात्रा नहीं कर पा रहा है तो उसे गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। इससे मनचाहा फल प्राप्त होता है।

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