फिर जागा गुजरात दंगों का जिन्न, अब सवा सौ करोड़ हो जाएंगे मोदी विरोधी

गुजरात दंगोंनई दिल्ली। गुजरात दंगों पर किताब लिखकर उसे खुद प्रकाशित करने वाली लेखिका राणा अय्यूब का कहना है कि देश के प्रति वफादारी का मतलब सरकार के प्रति वफादारी नहीं होता। यह दोनों अलग-अलग बातें हैं।

राणा अय्यूब की गुजरात दंगों पर लिखी गई किताब बेहद चर्चित हुई है और अब गुजरात दंगों पर लिखी गई इस किताब का दूसरा संस्करण आने जा रहा है। अय्यूब ने कहा, “मेरे लिए राष्ट्रवाद का अर्थ देश के विचार की हिफाजत है, जिसमें सभी कुछ समाहित है।”

उन्होंने कहा, “मेरे लिए देश से वफादारी का अर्थ सरकार से वफादारी तभी है जब इसकी जरूरत हो। मेरे लिए देशभक्ति का अर्थ सरकार में मौजूद उन तत्वों के खिलाफ आवाज उठाना है जो समाज में अशांति फैलाने वालों का समर्थन करते हैं।”

अय्यूब से पूछा गया था कि आज के परिदृश्य में राष्ट्रवाद और देशभक्ति का उनके लिए क्या अर्थ है।

राणा अय्यूब ने खुद को भारतीय मूल की अमेरिकी फिल्मकार बताकर गुजरात के शीर्ष नौकरशाहों और पुलिस अफसरों से बात की थी। इनमें मौजूदा अधिकारी भी थे और सेवानिवृत्त भी और जिनकी बातों से स्पष्ट संकेत मिला कि गुजरात के दंगे पूर्व नियोजित थे।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रदर्शन के बाद पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने के लिए बाध्य करने के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि देशभक्ति आजकल चलन में है। आप पर एक ठप्पा लगने से आप अधिक देशभक्त हो जा रहे हैं।”

अभिनेता अजय देवगन ने पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड से अभी बाहर करने का समर्थन किया है। इस पर राणा अय्यूब ने कहा, “मैं सोचती हूं कि क्या अजय देवगन यही बात तब भी कहते जब उनकी अपनी फिल्म (शिवाय) करण जौहर की फिल्म (ऐ दिल है मुश्किल) से मुकाबले में अभी नहीं उतर रही होती और यह कि क्या इसका कोई व्यावसायिक पक्ष नहीं है?”

उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह कहावत ‘देशभक्ति बदमाशों की अंतिम शरण स्थल है’ (पैट्रियाटिज्मइज द लास्ट रिफ्यूज आफ स्काउंड्रल्स), देश में रोजाना सही साबित हो रही है। किसी को भी अपनी फिल्म या ब्रांड का प्रचार करना होता है तो वह देशभक्ति का नाम लेने लगता है।”

अय्यूब ने कहा, “हम पसंद करें या न करें, पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है। भले ही हमारे बीच मतभेद हों लेकिन सांस्कृतिक संबंध कभी नहीं टूटने चाहिए। हमारे सांस्कृतिक संबंधों के प्रति असहिष्णुता मुझे परेशान करती है।”

उन्होंने कहा, “मैं सर्जिकल स्ट्राइक का पूरी तरह से समर्थन करती हूं। एक भारतीय के रूप में मैं निश्चित ही करूंगी। लेकिन, यह मुझे कहना क्यों पड़े? क्यों मुझे अपनी देशभक्ति को अपने पर चिपका कर दिखाना पड़े? भले ही मैं यह न कहूं, लेकिन मुझे इस पर गर्व है।”

अय्यूब ने कहा, “लेकिन, इसके साथ ही यदि कोई इससे (सर्जिकल स्ट्राइक से) असहमत है या सबूत चाहता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह उसका मौलिक अधिकार है। सरकारी अभियानों, खासकर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना किसी को राष्ट्रविरोधी नहीं साबित करता।”

लेखिका ने कश्मीर के हालात पर दुख जताया। उन्होंने कहा, “कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कश्मीरी मानवाधिकार के लिए लड़ रहे हैं। उनका समर्थन करना क्या राष्ट्रवाद के खिलाफ है? टीवी पर हमेशा मैं सुनती हूं ‘कश्मीर हमारा है’। हां, बिल्कुल है, लेकिन वहां के लोग? क्या वे हमारे नहीं हैं?”

उन्होंने कहा, “देश (लोग) कश्मीर तो चाहता है लेकिन कश्मीरियों को नहीं। देश कश्मीरियों के अधिकारों के लिए नहीं खड़ा होता। अगर उनके अधिकारों के बारे में बात करना मुझे राष्ट्रविरोधी बना देता है तो ठीक है, यही सही, लेकिन मेरा पक्का मानना है कि हम वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे पूरी तरह उदासीन बने हुए हैं।”

कई बार मोदी विरोधी करार दी जाने वाली राणा अय्यूब को उनकी गुजरात दंगों पर लिखी किताब ‘गुजरात फाइल्स: एनाटोमी आफ अ कवर अप’ को कोई प्रकाशक नहीं मिला था। इसे उन्होंने खुद प्रकाशित किया और देखते ही देखते यह सर्वाधिक बिकने वाली किताबों में शामिल हो गई। इसका तमिल संस्करण जारी हो चुका है और उर्दू संस्करण जारी होने जा रहा है।

अय्यूब ने बताया कि वितरक नहीं होने की वजह से उन्हें किताब की बिक्री के लिए अमेजन और फ्लिपकार्ट पर निर्भर रहना पड़ा। वह खुद किताबों की दुकानों पर गईं और वहां अपनी किताब की प्रतियां रखने की इजाजत हासिल की।

राणा अय्यूब ने कहा, “मेरे लिए मेरी किताब का जारी होना देशभक्ति है। एक ऐसी किताब जो सच बताती है और कई मामलों में (प्रधानमंत्री) मोदी और उनके पार्टी अध्यक्ष (अमित शाह) के खिलाफ जाती है।”

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