गोमाता को बचाने के लिए पीएम मोदी ने खेला मास्टर स्ट्रोक, फिर मातम मनाएंगे मुस्लिम!

गाय की कटाईनई दिल्ली। मवेशियों की बाजार में बिक्री पर पशु क्रूरता और संरक्षण अधिनियम के तहत रोक लगाने वाले क़ानून के फेल होने के बाद पीएम मोदी ने अब नया दांव खेला है। इसके तहत केंद्र सरकार गौमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ के जरिए उनकी सुरक्षा करने का प्लान बना रहे हैं। माना जा रहा है कि इस तरह प्लान बी को फालो करते हुए पीएम मोदी गाय की कटाई पर अंकुश लगाने की सोंच रहे हैं। इसके लिए उन्होंने एक 19 सदस्यीय टीम का भी गठन किया है।

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सरकार ने गौमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है।

ख़बरों के मुताबिक़ एक अंतरविभागीय सर्कुलर और समिति के सदस्यों ने यह जानकारी दी। सर्कुलर के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी जो पोषण, स्वास्थ्य और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पंचगव्य यानी गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी के लाभों को वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य बताने में मदद करेंगे।

राष्ट्रीय संचालन समिति नाम की इस समिति में नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय, बायोटेक्नोलाजी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभागों के सचिव और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं।

इसमें आरएसएस और विहिप से जुडे संगठनों विज्ञान भारती और ”गौ विज्ञान अनुसंधान केन्द्र” के तीन सदस्य भी शामिल हैं।

सरकार के सर्कुलर में कहा गया कि हल्दी और बासमती चावल पर अमेरिका के पेटेंट के खिलाफ अभियान चलाने के लिए प्रसिद्ध पूर्व सीएसआईआर निदेशक आर-ए माशेलकर भी इस समिति के सदस्य हैं।

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समिति में आईआईटी दिल्ली केष् निदेशक प्रोफेसर वी रामगोपाल राव और आईआईटी के ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र के प्रोफेसर वीके विजय भी शामिल हैं।

सर्कुलर में कहा गया कि इस समिति का कार्यकाल तीन वर्ष होगा। आरएसएस से जुड़े संगठन विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय भटकर समिति के सहअध्यक्ष हैं।

सुपरकम्प्यूटर की परम सीरीज के वास्तुविद माने जाने वाले भटकर बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं।

भटकर ने एक न्यूज एजेंसी को समिति के गठन की पुष्टि की और कहा कि उसे स्वदेशी गाय और पंचगव्य पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान की परियोजनाएं चुनने का काम दिया गया है।

आरएसएस से जुडे दो अन्य सदस्य विज्ञान भारती के महासचिव जयकुमार और नागपुर के गौ विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के सुनील मनसिंह भी इसमें शामिल हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ जब मवेशी कारोबारियों और गाय की तस्करी के अन्य संदिग्धों की कथित गौरक्षकों द्वारा पीटपीटकर हत्या करने की बढ़ती घटनाओं के बीच देश में गाय भावनात्मक मुददा बन गई है।

देश में गौरक्षा को लेकर भड़कने वाली हिंसा और जातिगत विवाद में शामिल हो रहे लोगों का मानना है कि वे हिन्दू धर्म के पवित्र प्रतीक की रक्षा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस हिंसा की निंदा की और कहा कि गौभक्ति के नाम पर लोगों की हत्या अस्वीकार्य है।

सरकार ने कहा है कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसे आईआईटी, दिल्ली के सहयोग से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक्नोलाजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा पूरा किया जा रहा है।

इस मामले में आगे से कोई भी हिंसा बर्दास्त नहीं की जाएगी। ऐसा करने वालों के खिलाफ सरकार कड़ेगी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगी।

बता दें हमेशा से पीएम मोदी की छवि एक हिन्दूवादी नेता की रही है। पशु बिक्री अधिनियम में फेरबदल करने के पीछे भी यही कहा जाता रहा है कि यह सब लोगों को शाकाहारी बनाने के उद्देश्य से किया गया।

अब इस नए कदम को मोदी का प्लान बी बताया जा रहा है, जिसके सहारे वे अपने टूटते सपने को परवान चढ़ा पाएंगे।

बता दें पशु बिक्री अधिनियम के तहत बनाए गए क़ानून में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए नियमों में बदलाव करने का फरमान सुनाया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि सरकार किसी को खाने की नियति में बदलाव के लिए बाध्य नहीं कर सकती।

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