गर्मियों की छुट्टियों का आनन्द लेना हैं तो एक बार घूम कर आइए,लद्दाख के प्राकृतिक सुंदरता में!

लद्दाख। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ स्थित हैं यह पहाड़ो और समुन्द्र के बीच में बसा एक ऐसा स्थान है जहां आपको एक अलग प्रकार का एहसास होगा।आज हम आपको ले चलते हैं लद्दाख की गलियों में जहां आपको कुछ अलग ही विशेषताएं देखने को मिलेगी।लद्दाख

इंडस नदी के किनारे पर बसा ‘लद्दाख’ , जम्मू और कश्मीर राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटन-स्थल है। इसे, लास्ट संग्रीला, लिटिल तिब्बत, मून लैंड या ब्रोकन मून आदि के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य शहर ‘लेह’ के अलावा, इस क्षेत्र के समीप कुछ प्रमुख पर्यटन-स्थल जैसे, अलची, नुब्रा घाटी, हेमिस लमयोरू, जांस्कर घाटी, कारगिल, अहम पैंगांग त्सो, और त्सो कार और त्सो मोरीरी आदि स्थित हैं । सुन्दर झीलें और मठ, मन को सम्मोहित कर देने वाले परिदृश्य और पहाड़ की चोटियाँ यहाँ की आकर्षक विशेषताएँ हैं। राज्य में बोले जाने वाली आम भाषाओं में लद्दाखी, पुरिग, तिब्बतन, हिन्दी एवं अंग्रेजी शामिल हैं। लद्दाख, विश्व के दो प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं, काराकोरम और हिमालय के बीच, समुद्र की सतह से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

 

इसके अतिरिक्त, जांस्कर और लद्दाख की समानांतर पर्वतमालाएँ, लद्दाख की घाटी को चारों ओर से घेरती हैं। लद्दाख के इतिहास पर एक नज़र ऐसा माना जाता है कि लद्दाख मूल रूप से किसी बड़ी झील का एक डूब हिस्सा था, है, जो कई वर्षों के भौगोलिक परिवर्तन के कारण, लद्दाख की घाटी बन गया। अब यह जम्मू और कश्मीर का एक प्रमुख राज्य है। 10 वीं शताब्दी के दौरान, लद्दाख, तिब्बती राजाओं के उत्तराधिकारियों के शासन में  था। 17 वीं शताब्दी में राजा ‘सेनगी नामग्याल’ के शासनकाल के दौरान, हिमालयन साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। बाद में, 18 वीं शताब्दी में लद्दाख और बाल्टिस्तान को जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में शामिल किया गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, बाल्टिस्तान, पाकिस्तान का हिस्सा बना लद्दाख और उसके आस-पास के पर्यटन स्थल बौद्ध धर्म इस क्षेत्र का प्रमुख धर्म है, मठ या गोम्पा, लद्दाख के आकर्षणों की सूची में प्रमुख विशेषता रखते हैं। हेमिस मठ, शंकर गोम्पा, माथो मठ, शे गोम्पा, स्पितुक मठ, और स्तकना मठ जैसे कुछ मठ इस क्षेत्र के सबसे उल्लेखनीय मठों में से हैं। इसके अलावा, हिक्से मठ और समो मठ भी एक बार देखने के लायक हैं।

लद्दाख के त्योहार गाल्डन नमछोट, बुद्ध पूर्णिमा, दोसमोचे और लोसर नामक त्यौहार पूरे लद्दाख में बड़ी धूम-धाम से मनाए जाते है और इस दौरान यहाँ पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है। दोसमोचे नामक त्यौहार दो दिनों तक चलता है जिसमें बौद्ध भिक्षु नृत्य करते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और क्षेत्र से दुर्भाग्य और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए अनुष्ठान करते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है ‘साका दावा’ जिसमें गौतम बुद्ध का जन्मदिन, बुद्धत्व और उनके नश्वर शरीर के ख़त्म होने का जश्न मनाया जाता है। इसे तिब्बती कैलेंडर के चौथे महीने में, सामान्यतः मई या जून में मनाया जाता है जो पूरे एक महीने तक चलता है। इस क्षेत्र में भ्रमण के लिए पर्यटक टैक्सी या बाइक किराय पर ले सकते हैं। सामान्यतः लोग स्वयं के वाहन से इस स्थान की यात्रा करना पसंद करते हैं, जो कि ज्यादा सुविधाजनक होता है। यात्रा की कुछ जानकारियाँ इस क्षेत्र के ऊबड़-खाबड़, बीहड़ जैसे भूभाग के कारण, पर्यटकों को अपने साथ वाहन के अतिरिक्त पार्ट्स रख कर चलने की सलाह दी जाती है, यह किसी भी आपात स्थिति में मददगार साबित हो सकता है। पूरे क्षेत्र में विभिन्न रेस्तरां और होटल, थुपका या सूप नूडल्स और मोमो या पकौड़ी की सेवा पेश करते हैं।

लद्दाख की यात्रा का सबसे अच्छा समय पर्यटक, मई से सितम्बर के बीच किसी भी समय लद्दाख यात्रा की योजना बना सकते हैं। इस समय यहाँ का मौसम खुशनुमा होता है और तापमान 33° सेंटीग्रेट से ज्यादा नहीं हो पाता है। लद्दाख कैसे पहुंचें जो पर्यटक लद्दाख जाने की योजना बना रहे हैं वे अपने गंतव्य तक वायु, रेल और सड़क मार्ग द्वारा पहुँच सकते हैं।

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