इस मंदिर में दिखता है गणेश जी का यह अनोखा रुप, नहीं देखा होगा कभी

भारत विविधिताओं का देश के साथ-साथ धार्मिक प्रधान देश भी है। यहां चाहे खान-पान की बात कहीं जाए य धर्म की यह हर क्षेत्र में सबसे निराला है। आस्था से जुड़े होने के नाते यहां पर हर देवी देवताओं के बहुत मंदिर है। आज भी यहां पर पुराने रीति-रिवाजों और धर्म का पालन किया जाता है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत में विभिन्न मंदिर हैं। दक्षिण भारत में कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जिनका इतिहास पौराणिक काल से बताया जाता है। यहां कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो अपने अद्भुत तथ्यों के लिए आकर्षण का केंद्र बनते हैं। आज हम आपको दक्षिण भारत के एक ऐसे ही मंदिर की कथा सुनाने जा रहें हैं।

गणेश जी

आदि विनायक मंदिर

तमिलनाडु में गणेश जी का एक महान मंदिर है जो अपने स्वरूप से काफी जाना जाता है। लेकिन यह मंदिर भारत में मौजूद भगवान गणेश के अन्य सभी मंदिरों से काफी अलग है। वैसे तो भारत में सभी गणेश मंदिरों में गणेश जी के गजरूप की पूजा की जाती है लेकिन इस मंदिर में गजरूप स्वरूप की नहीं बल्कि उनके इंसान स्वरूप की पूजा की जाती है। अपनी इस अद्भुत खूबी के कारण यह मंदिर ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके अलावा यह एक मात्र ऐसा गणेश मंदिर हैं जहां श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करने आते हैं।

अद्भत मंदिर

इस मंदिर के साथ एक बहुत ही पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि यहां कभी भगवान राम आए थें। उन्होंने यहां आकर अपने पितरों की शांति की पूजा की थी। जिसे आज भी यहां के लोग पूरे रीति और रिवाज से बनाते हैं। दक्षिण भारत का यह मंदिर अपनी इन खूबियों के चलते ज्यादा प्रसिद्ध है। लेकिन यह मंदिर यहां के बाकी मंदिरों की तुलना में उतना विशाल नहीं है। पितरों की शांति को लिए की गई पूजा के महान उद्देश्य की वजह से इउस मंदिर को तिलतर्पणपुरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इल मंदिर में दूर दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

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भगवान राम से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान राम अपने पिता का अंतिम संस्कार कर रहे थे, तो उनके द्वारा रखे गए चार पिंड (चावल के लड्डू) कीड़ों के रूप में तब्दील हो गए थे, ऐसा बार-बार हुआ तो भगवान राम ने भोलेनाथ से प्रार्थना की। भगवान शिव ने उन्हें इस स्थान(आदि विनायक मंदिर) पर आकर पूजा करने के लिए कहा। जिसके बाद भगवान राम का इस मंदिर में आगमन हुआ और उन्होंने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए भोलेनाथ की पूजा की। माना जाता है कि चावल के वो चार पिंड चार शिवलिंग में बदल गए थे। वर्तमान में ये चार शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में मौजूद हैं।

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भगवान शिव का मंदिर

इस मंदिर में भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। यह भोलेनाथ का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पास में ही माता सरस्वती का भी एक मंदिर है। जहां लोग दूर-दूर से आकर दर्शन करते हैं। यहां आने वाला हर एक श्रद्धालु आदि विनायक के साथ मां सरस्वती और भगवान शिव के मंदिर पर माथा जरूर टेकता है।

 

 

 

 

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