गणेश जी के इस पाठ से नहीं आएगी आपके घर कभी दरिद्रता

गणेश जीगणेश जी सृष्टि के आधार स्‍तम्‍भ है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश को किसी भी पूजा में प्रथम पूज्‍य माना जाता है। वह इसलिए कि ऋद्धि और सिद्धि इन्‍ही की पत्‍नी हैं और अगर  ऋद्धि और सिद्धि ही न मिले तो पूजा निष्‍फल मानी जाती है। भगवान गणेश ऐश्‍वर्य के दाता है। जिस घर में नित्‍य प्रतिदिन इनकी पूजा होती है, उस घर में दरिद्रता और निर्धनता कभी नहीं आ सकती है। यहां हम आपको गणेश जी के द्वादशनामस्तोत्र  के बारे में जानकारी देनेे जा रहे हैं, जिसका पाठ आप अपने घर में नित्‍य पूजा में कर सकतेे हैं।

गणेश जी का द्वादशनामस्तोत्रम्

।।शुक्लांम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशांतये।।1।।

अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजेतो य: सुरासुरै:।
सर्वविघ्नहरस्तस्मै गणाधिपतये नम:।।2।।

गणानामधिपश्चण्डो गजवक्त्रस्त्रिलोचन:।
प्रसन्न भव मे नित्यं वरदातर्विनायक।।3।।

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक:
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायक:।।4।।

धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:।
द्वादशैतानि नामानि गणेशस्य य: पठेत्।।5।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी विपुलं धनम्।
इष्टकामं तु कामार्थी धर्मार्थी मोक्षमक्षयम्।।6।।

विद्यारभ्मे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा
संग्रामे संकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।7।।

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