क्या सियारत की ये बिसात 3 सीटों पर ही थम जाएगी? दिल्ली बैठक के बाद होगा फैसला

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में चौधरी अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) हिस्सा होगी या नहीं, इस बात का फैसला बुधवार को हो सकता है. इस संबंध में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के बीच दिल्ली में बैठक होगी. सपा-बसपा गठबंधन ने आरएलडी के लिए 2 सीटें छोड़ी हैं, लेकिन इस पर पार्टी अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह सहमत नहीं हैं.

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी

सूत्रों के मुताबिक आरएलडी सम्मानजनक तौर पर अब गठबंधन में 4 सीटें चाहती है,  जिसमें मुजफ्फरनगर , बागपत और मथुरा. इन तीन सीटों के अलावा कैराना और अमरोहा में से एक सीट कोई भी हो सकती है. हालांकि गठबंधन ने 2 सीटें आरएलडी के लिए छोड़ रखी हैं, इसके अलावा अखिलेश यादव अपने कोटे से उन्हें एक और सीट ऑफर कर सकते हैं लेकिन 4 सीटों पर बात बनती है या नहीं यह सबसे बड़ा सवाल है? आरएलडी 2 सीटों के लिए तैयार नहीं है लेकिन क्या वो 3 सीटों पर मान जाएगी इसे अभी कहा नहीं जा सकता है.

बता दें कि शनिवार को बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस करके गठबंधन का एलान किया था. इस दौरान दोनों नेताओं ने आरएलडी को लेकर किसी तरह की कोई बात नहीं कही थी. हालांकि, सपा-बसपा ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जबकि 2 सीटें सहयोगी दल के लिए छोड़ रखा है. इसके अलावा अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन कोई उम्मीदवार नहीं उतारने की बात कही है.

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प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि आरएलडी की सीटों के बारे में अलग से बता दिया जाएगा. हालांकि उसी के कुछ देर बाद सपा महासचिव राम गोपाल यादव ने आरएलडी को दो सीटें देने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि दो सीटें जो छोड़ी गई हैं वो आरएलडी के लिए ही हैं.

वहीं, आरएलडी ने सपा-बसपा के सामने छह सीटों की मांगी रखी है. इनमें बागपत, मथुरा, कैराना, हाथरस, मुजफ्फरनगर और अमरोहा सीट शामिल हैं. सपा-बसपा गठबंधन आरएलडी को बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें देना चाहता है. इसमें मुजफ्फरनगर से चौधरी अजित सिंह और बागपत सीट से उनके बेटे जयंत चौधरी चुनाव लड़ सकते हैं.

दिल्ली में बुधवार को जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के बीच होने वाली बैठक में माना जा रहा है कि सपा अपने कोटे से आरएलडी को दो सीटें दे सकती है, लेकिन वो सीधे तौर पर नहीं होंगी. वो सीटें ऐसी होंगी, जहां आरएलडी उम्मीदवार सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ेगा. सूत्रों की मानें तो इसके लिए आरएलडी को पहले ही इस फॉर्मूले को बता दिया गया है. अखिलेश यादव और जयंत की पहले हुए बैठक में ही इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि दो सीटें आरएलडी अपने चुनाव चिन्ह पर लड़े और दो सीटें कैराना मॉडल के तहत.

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दिलचस्प बात ये है कि आरएलडी अपने सियासी सफर में सबसे संकट के दौर से गुजर रही है. मौजूदा दौर में उसके पार्टी के एक विधायक है जो राज्यसभा चुनाव में बीजेपी से जुड़ गए हैं. इसके अलावा 2014 के लोकसभा चुनाव में अजित चौधरी और जयंत चौधरी भी जीत नहीं सके थे. बता दें कैराना उपचुनाव में सपा बसपा के समर्थन से आरएलडी उम्मीदवार ने जीत हासिल कर पार्टी का खाता खोला था. हालांकि, ये सपा के उम्मीदवार थे, जिन्हें आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था.

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