
सर्दियों का मौसम अपने साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें लेकर आता है। जो लोग किसी बीमारी से पीडि़त हैं उनके लिए समस्या बढ़ जाती है, यह मौसम बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वालों के लिए खासा परेशानी वाला होता है।
सर्दियों का मौसम अपने साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें लेकर आता है। जो लोग किसी बीमारी से पीडि़त हैं उनके लिए समस्या बढ़ जाती है, यह मौसम बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वालों के लिए खासा परेशानी वाला होता है।
सर्दियों में फ्लू, सांस की परेशानी, कानों में संक्रमण और पेट की समस्याएं खासतौर से तंग करने लगती हैं।
ज्यादातर सामान्य वयस्क जहां साल में तीन से चार बार सर्दी-जुकाम का शिकार होते हैं, वहीं गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए परेशानी ज्यादा बड़ी होती है।
यह मौसम डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी मुश्किल भरा होता है। सर्दियों में होने वाला कोहरा भी नुकसानदेह होता है।
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सर्दियों के मौसम में कोहरा होता है। जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है तब जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती है।
कभी-कभी अनुकूल परिस्थितियों में हवा के बिना ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की छोटी बूंदों में बदल जाती है तब हम इसे ही कोहरा कहते हैं।
यानी बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को कोहरा कहा जाता है। यह वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर ही फैला रहता है। कोहरा सेहत को नुकसान पहुंचता है।
कोहरा जब वायु में मौजूद प्रदूषण के संपर्क में आता है तब नुकसानदेह हो जाता है। हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण स्मॉग यानी धूम-कोहरा होता है।
स्मॉग में कोहरे के साथ प्रदूषण से निकलने वाले सल्फर डाईऑक्साइड, नाइ्ट्रोजन डाइऑक्साइड और कारखानों से निकले केमिकल जैसे – कॉर्बन मोनोऑक्साइड जैसे हानिकारक केमिकल होते हैं।
ये केमिकल सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और सेहत को नुकसान पहुचाते हैं।