कोरोना से ठीक हो चुके लोगों पर बना है ब्लैक फंगस का खतरा? जानें क्या है विशेषज्ञों की राय

देश लगातार कोरोना महामारी की मार झेल रहा है। कोरोना संक्रमण दिन पर दिन अपना विकराल रूप दिखाने पर तुला हुआ है। वायरस की दूसरी लहर भारत के लिए किसी काल से कम नहीं है। इससे अब तक लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हो चुके हैं वहीं हजारों की संख्या में लोग अपनी जानें गवां चुके हैं। एक ओर जहां देश पहले से ही कोरोना से कराह रहा है वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस जैसी बिमारी भी अपने पैर पसारती नजर आ रही है। कोरोना के साथ ही इस बिमारी ने भी लोगों को प्रभावित करना शुरु कर दिया। देश के कई राज्यों में इसके बढ़ते मामले बेहद चिंताजनक हैं। लेकिन इस नई किस्म की बिमारी को लेकर लोगों की मन में कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं। जिसके मद्देनजर आज हम आपको विशेषज्ञों की राय से रुबरू कराएंगे।

यदि बात करें नई दिल्ली स्थित अपोलो आस्पताल के डॉ. राकेश कुमार की तो इस बिमारी को लेकर उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, “कई ऐसे मरीज होते हैं जो होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन वो आईसीयू तक पहुंच जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि जब किसी को गले में हल्की खराश, बुखार या जुकाम होता है तो वह उसे नजरअंदाज करते हैं। वो मान लेते हैं कि हमें ये बीमारी हो ही नहीं सकती है। इसके अलावा कई लोग ऐसे होते हैं, अगर रिपोर्ट देर से आई या लक्षण के बाद भी निगेटिव आ गई है तो वह एकदम निश्चिंत हो जाते हैं। कुछ ऐसे लोग हैं, जो खुद से ही इलाज शुरू कर देते हैं, स्टेरॉयड लेने लगते हैं। इन वजह से उन्हें सही इलाज समय पर नहीं मिल पाता और कोरोना के लक्षण बढ़ जाते हैं।”

कितना है कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में खतरा-

इस बिमारी को लेकर बताया जा रहा है कि यह सबसे ज्यादा उन लोगों को अपना शिकार बनाती है जो कोविड से ठीक हो चुके हैं। इस सवाल को लेकर डॉ. राकेश कुमार ने अपने जवाब में कहा कि, “ब्लैक फंगस होने का खतरा उन्हीं लोगों को ज्यादा होता है, जिन्हें डायबिटीज हो या लंबे समय तक स्टेरॉयड पर रहे हों, इम्यूनो थेरेपी चली हो, कैंसर के मरीज हों, कोई ट्रांसप्लांट हुआ हो। एक सामान्य व्यक्ति को जरूरी नहीं है कि ब्लैक फंगस हो जाए। इससे बचने के लिए साफ-सफाई रखें। ऐसी जगह पर न जाएं, जहां धूल, मिट्टी आदि हो। हालांकि जिनकी इम्यूनिटी ठीक है, उनमें ब्लैक फंगस के होने की संभावना कम है।”

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