कोरोना संकट की वजह से सऊदी अरब को लगा सबसे बड़ा झटका…

सऊदी अरब का विदेशी भंडार लगातार दूसरे महीने तेजी से गिरा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कम से कम 20 सालों की ये सबसे तेज गिरावट है. मार्च और अप्रैल में विदेशी भंडार में तेज गिरावट दर्ज की गई. असल में दुनियाभर में कोरोना संकट और तेल के दाम काफी कम होने की वजह से आर्थिक रूप से सऊदी अरब को भारी नुकसान हो रहा है. इसी दौरान इकोनॉमी को राहत देने की उम्मीद में सऊदी अरब ने मार्च और अप्रैल में अपने विभिन्न विदेशी भंडार का इस्तेमाल किया.

सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है. तेल की मांग घटने की वजह से दाम काफी गिर गया. इसकी वजह से सऊदी पर काफी बुरा असर पड़ा. वहीं, कोरोना वायरस की वजह से सऊदी में भी पाबंदियां लगाई गईं जिसका असर भी इकोनॉमी पर पड़ा.

रॉयटर्स के मुताबिक, सऊदी ने मार्च और अप्रैल के बीच में अपने विदेशों के इन्वेस्टमेंट के लिए विदेशी भंडार से 40 बिलियन डॉलर पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड में ट्रांसफर किए.

सऊदी अरबियन मोनेटरी अथॉरिटी की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, नेट फॉरेन असेट मार्च में 464 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल में घटकर 443 बिलियन डॉलर हो गया. नेट फॉरेन असेट में विदेशी मुद्रा, विदेशों के डिपॉजिट और फॉरेन सिक्योरिटीज में किए गए इन्वेस्टमेंट शामिल हैं.

मार्च में SAMA के नेट विदेशी असेट्स में 27 बिलियन डॉलर की गिरावट हुई. हालांकि, सऊदी के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जदान ने कहा कि कोई भी असाधारण ट्रांसफर नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुकूल समय होने की वजह से इन्वेस्टमेंट किए गए.
बीते महीने इकोनॉमी की हालत बेहतर करने के लिए सउदी ने वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) तीन गुना किया था. सरकारी कर्मचारियों को लिविंग अलॉउंस देना भी स्थगित कर दिया गया था.

 

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