कोरोना की तीसरी लहर से पहले जानिए स्वास्थ्य सेवाओं में कितना तैयार हैं हम

कोरोना की तीसरी लहर से पहले बच्चों के लिए सरकार ने गाइडलाइन जारी की है। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि तीसरी लहर में रोजाना तकरीबन 1 लाख मरीजों का पीक आएगा तो उसमें बच्चों की संख्या 12 हजार होगी।

इस अनुमान को लेकर ही राज्यों से अस्पतालों में बिस्तर की बढ़ोत्तरी और ऑक्सीजन का पर्याप्त बंदोबस्त करने को लेकर कहा गया था। इस पर राज्यों की ओर से काम भी शुरु कर दिया गया है। एक अनुमान के अनुसार इस दौरान तकरीबन 2400 आईसीयू बेड की जरूरत पड़ेगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में 78 फीसदी बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति ज्यादा भयावह है। वहां तो स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या ही पूरी नहीं है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में सुविधाओं को बढ़ाना महज ही काफी नहीं होगा। कम स्टाफ की चुनौती को भी सरकार को समझना होगा।

गाइडलाइन में एनसीडीसी की समीक्षा का हवाला देते हुए केंद्र ने राज्यों को बताया था कि नई लहर में अगर हर दिन 12 हजार बच्चे संक्रमित हुए तो उसमें तकरीबन 600 को भर्ती करने की जरूरत होगी। इनमें से 360 बच्चों को सामान्य वार्ड में जबकि 240 को आईसीयू की जरूरत होगी। केंद्र ने कहा था कि 300 या उससे अधिक के बिस्तर वाले जिला अस्पतालों को बच्चों के लिए अलग से वार्ड का इंतजाम करना होगा। यही नहीं संक्रमित बच्चों के साथ उनके माता पिता को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जिला अस्पताल में 3:1 के हिसाब से आईसीयू बेड का बंदोबस्त करना होगा।

इसी के साथ प्रति यूनिट 5 लीटर ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी होगी। इसमें कहा गया है कि देश में 20 वर्ष से कम आयु के 12 फीसदी मामले सामने आए हैं। पहली और दूसरी लहर में तकरीबन बराबर बच्चे संक्रमित हुए हैं।

बात अगर मंत्रालय की रिपोर्ट की ही हो तो उसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 76.1% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है । प्रत्येक सीएचसी में चार विशेषज्ञ सर्जन, चिकित्सक, प्रसूति/स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक बाल रोग विशेषज्ञ होना जरूरी है लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार 5,183 सीएचसी में 78.9 सर्जन , 69.7 प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों, 78.2% और इतने ही बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। सीएचसी में स्वीकृत विशेषज्ञों के 63.3% पद खाली पड़े हैं। 63.1% बाल रोग विशेषज्ञों के पद खाली पड़े हैं।

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