आतंक पर भारी पड़ी भाजपा की रणनीति, कश्मीर में पंडितों का रास्ता साफ़

कश्मीरी पंडितोंजम्मू। जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में गुरुवार को घाटी से पलायन कर गए हजारों कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की मांग का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया। विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा से जम्मू और अन्य भारतीय राज्यों में रह रहे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को संभव बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की।

अध्यक्ष कविंद्र गुप्ता ने नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता की सलाह को इस सुझाव के साथ स्वीकार किया कि इन परिवारों की घाटी में वापसी से पहले अनुकूल परिस्थितियां सुनिश्चित की जानी चाहिए।

पीपुल्स डेमोकेट्रिक पार्टी के नेता अब्दुल रहमान वीरी ने प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

मालूम हो कि इस मुद्दे पर कई बार देश में आवाजे भी उठती रही हैं इन्हें आवाज़ों में एक आवाज़ है जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर की जो की काफी अर्से से इस मामले को उठाते रहे हैं हाल ही में अनुपम खेर ने कहा कि 27 साल बीत जाने के बावजूद किसी ने हथियार नहीं उठाए क्योंकि वे शांति और अपने देश की महानता में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा,’कोई कश्मीरी पंडित उस दिन को भुला नहीं सकता। मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा था, कश्मीरी पंडितों अपना घर छोड़कर चले जाओ। वह रात हमारे कश्मीरी पंडित दोस्त और रिश्तेदार कभी नहीं भूल सकते।’ खेर ने आगे कहा, ‘आज 27 साल हो गए। घर से निकाले जाने के उस दिन को याद रखे जाने की जरूरत है। हमारी कोशिश उन लोगों तक अपनी आवाज पहुंचाना है, जो इस बारे में सुनना ही नहीं चाहते।’

दरअसल, अनुपम खेर 19 जनवरी 1990 के उस वाकये के बारे में याद कर रहे थे, जब 60 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडित परिवार जम्मू-कश्मीर छोड़कर चले गए। घाटी में पाक समर्थित आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव की वजह से उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 2008 में जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से बनाई गई रिपोर्ट के मुताबिक, 1989 में आतंकवाद के उदय के साथ ही 24 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का परिवार घाटी छोड़कर चला गया था।

राज्य में 1989 में जब सशस्त्र उग्रवाद शुरू हुआ था, तब बड़े पैमाने पर कश्मीरों पंडितों का पलायन शुरू हो गया था।

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