एसबीआई के इस फैसले से 47 फीसदी शाखाओं पर हमेशा के लिए लटक जाएगा ताला
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में एक अप्रैल को पांच सहयोगी बैंकों का विलय हो जाएगा। इसके बाद एसबीआई ने इन बैंकों की करीब आधी शाखाओं को बंद करने का फैसला किया है, जिसमें तीन बैंकों का मुख्यालय भी शामिल है। स्टेट बैंक की इस पहल से सहयोगी बैंकों से व्यवसाय में लगे लोग बड़ी संख्या में एक झटके में बेरोजगार हो जाएंगे।
बैंक शाखाओं की बंद करने की प्रक्रिया 24 अप्रैल से होगी शुरू
एसबीआई के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार खारा ने विशेष बातचीत में कहा कि पांच सहयोगी बैंकों के मुख्यालयों में से हम केवल दो को जारी रखेंगे। तीन सहयोगी बैंकों की शाखाओं के साथ 27 जोनल कार्यालय, 81 क्षेत्रीय कार्यालय और 11 नेटवर्क कार्यालयों को बंद कर दिया जाएगा।
खारा ने कहा, हम सहयोगी बैंकों की शाखाओं को 24 अप्रैल तक बनाए रखेंगे और उसके बाद इनको बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, जिनमें नियंत्रण कार्यालय, मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय, जोनल कार्यालय और नेटवर्क कार्यालय शामिल हैं।
जिन पांच सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय हो रहा है, उनमें एसबीबीजे (स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर), एसबीएम (स्टेट बैंक ऑफ मैसूर), एसबीटी (स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर), एसबीपी (स्टेट बैंक ऑफ पटियाला) और एसबीएच (स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद) शामिल हैं।
एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है, जिसकी परिसंपत्तियां 30.72 लाख करोड़ रुपये की है और वैश्विक रैकिंग में यह 64वें नंबर पर है (दिसंबर 2015 के आंकड़ों पर आधारित, दिसंबर 2016 के आंकड़े अभी तक आए नहीं हैं)।
इस विलय के बाद एसबीआई की परिसंपत्तियां बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी। इसके साथ ही यह दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो जाएगा।
एसबीआई के मुख्य अर्थशात्री सौम्य कांति घोष ने आईएएनएस को बताया कि विलय के बाद बैंक दुनिया में 45 वें नंबर पर आ जाएगा।
खारा ने कहा, बैंक की शाखाओं को इसलिए बंद किया जा रहा है, ताकि एक ही क्षेत्र में शाखाओं का दोहराव न हो। हम नियंत्रण संरचना में किसी प्रकार के दोहराव को हटाना चाहते हैं।