एक सांड की वजह से महिला ने नहीं की पूरी जिंदगी शादी, पूरी जिंदगी करती रही ये काम

नई दिल्ली। शादी जिंदगी में जरूरी तो नहीं लेकिन एक अहम हिस्सा जरूर होता है। उम्र के एक पड़ाव के बाद इंसान खुद अपनी पसंद से या परिवार की मर्जी से चुने हुए साथी से विवाह कर लेता है।

शादी

हालांकि कभी-कभार कुछ पारिवारिक जिम्मेदारी या अपनी कोई निजी समस्या के चलते इंसान शादी कर पाने में सक्षम नहीं होता है।

ऐसे बहुत से लोग हैं दुनिया में जिन्होंने जिंदगीभर शादी नहीं की।

इन्हीं में से एक हैं 48 वर्षीय सेल्वरानी जो भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरै में रहती हैं। अब आप यही सोच रहे होंगे कि आखिर इसमें ऐसी क्या खास बात है? तो आपको बता दें कि सेल्वरानी के शादी न करने के पीछे की वजह एक सांड है।

बता दें, बचपन से ही सेल्वरानी के मन में एक सांड को पालने का ख्याल था ताकि वह सांड वहां के पारंपरिक खेल जल्लिकट्टु में हिस्सा ले सके।
सेल्वरानी के पिता कनगरासू और दादा मुत्थुस्वामी का ऐसा मानना था कि जल्लीकट्टू के सांड को पालना किसी इंसान के बच्चे की परवरिश करने के जैसा ही है।
दादा और पिता के बाद जब तीसरी पीढ़ी की बारी आई तो उनके दोनों भाइयों के पास सांड को पालने या उसकी देखरेख के लिए वक्त ही नहीं था।

 

जल्लिकट्टु

हालांकि परिवार की महिलाएं ही सांडों को चारा देती हैं, उनके रहने की जगह को साफ करती हैं और उन पर पूर्ण रूप से नजर रखने का काम भी महिलाएं ही करती हैं।

जब सेल्वरानी ने देखा कि उनके भाइयों के पास अपने इस काम के लिए कोई वक्त नहीं है तो उन्होंने परंपरा को बचाने के खातिर खुद इस जिम्मेदारी को संभालने की मांग की।
सेल्वरानी के लिए ऐसा करना किसी जुनून से कम नहीं था। बात जब अपनी शादी, परिवार और जुनून के बीच में आई तो सेल्वरानी ने बिना सोचे-समझे जिंदगी भर सांड को पालने के विकल्प को चुना।
ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उनके लिए परिवार की परंपरा को बचाना सर्वोपरि था।

हालांकि सेल्वरानी के परिवार और रिश्तेदार पहले पहल उनके अकेले रहने के इस फैसले से खुश नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने इसे अपना लिया।
बता दें, इस सांड का नाम रामू है। रामू के बारे में बताते हुए सेल्वरानी कहती हैं कि, रामू की देखभाल करना एक बच्चे की देखभाल करने जैसा है।’

रामू के देखभाल के अलावा सेल्वरानी खेतों में मजदूरी का काम भी करती हैं। जिस दिन उन्हें काम मिल जाता है उस दिन वह दिन के दो सौ रुपये तक कमा लेती हैं। कमाई का एक-एक पैसा जोड़कर वह रामू के लिए चारे की व्यवस्था करती हैं।

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सेल्वरानी का कहना है कि, शान्त स्वभाव का रामू जब खेल के मैदान में उतरता है तो वह गुस्सैल स्वभाव का हो जाता है। बीते पांच सालों में हर बार खेल में रामू ने जीत हासिल की है। इनाम के तौर पर रामू को घर में इस्तेमाल होने वाला सामान, सिल्क की साड़ी और सोने के सिक्के मिले हैं।

खेल में बार-बार जीत हासिल करने के लिए कई लोगों ने रामू को खरीदने की मांग की। इसके लिए लोगों ने मोटी रकम की पेशकश भी की, लेकिन सेल्वरानी ने रामू को बेचने से साफ इंकार कर दिया।

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