एक बार फिर आतंकी हाफिज हुआ गिरफ्तार , जानिए पाकिस्तान कहीं दुनिया की आंखों में झोंक तो नहीं रहा धूल…

मुंबई हमले का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड हाफिज सईद एक बार फिर जेल में है यानी आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का खेल जारी है. मगर लश्कर-ए-तैयबा के आका को सलाखों के पीछे भेजने की टाइमिंग पर गौर कीजिए. वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका जा रहे हैं.

 

तारिक 22 जुलाई को वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी मुलाकात होनी है. लेकिन इस मुलाकात से पहले हाफिज सईद को सलाखों के पीछे भेजना जरूरी हो गया.

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सूचना के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद पाकिस्तान ने जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा और फलाह-ए-इंसानियत के खिलाफ टेरर फंडिंग के मामले में जांच शुरू की.

इस सिलसिले में पंजाब पुलिस ने जमात के 160 मदरसे, 32 स्कूल, दो कॉलेज, चार हॉस्पिटल, 178 एंबुलेंस और 153 डिस्पेंसरी को सीज कर दिया.

वहीं इसी मामले की सुनवाई के लिए जब 17 जुलाई को मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद अपने अमले के साथ लाहौर से गुजरांवाला के लिए निकला. 95 किमी के इस रास्ते में हाफिज का काफिला जैसे ही गुजरांवाला में घुसा. जहां बैरीकेटिंग लगाए पंजाब का काउंटर टेरेरिजम डिपार्टमेंट पहले से उसका इंतजार कर रहा था.

देखा जाये तो हाफिज के काफिले को रोका गया और उसे बताया गया कि सरकारी पाबंदी के बावजूद उसके कुछ ट्रस्ट चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. और कुछ ट्रस्ट राष्ट्रविरोधी कामों में शामिल हैं. सीटीडीटी यानी काउंटर टेरेरिजम डिपार्टमेंट ने उसे सीधे लफ्ज़ों में बताया कि उसे उसके साथ चलना होगा. लेकिन इतना कहने के बाद ही हाफिज सईद को गिरफ्तार कर लिया गया.

खबरों के मुताबिक इससे चंद दिन पहले लाहौर की आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा के प्रमुख आतंकी सरगना हाफिज सईद और तीन अन्य को जमानत दे दी थी.

जहां ये फैसला मदरसे की भूमि को अवैध कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने के एक मामले में लिया गया था.लेकिन इस बार हाफिज सईद इतनी जल्दी रिहा नहीं हो पाएगा.

खबरों के मुताबिक इसकी सबसे अहम वजह है पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का 22 जुलाई को अमेरिकी दौरा. दरअसल, इमरान खान के अमेरिका जाने से पहले पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोंकना चाहता है.

लेकिन इमरान के अमेरिका दौरा से पहले पाकिस्तान उसे ये दिखाना चाहता है कि आतंक के खिलाफ जंग में वो उसके साथ है. दरअसल हाफिज सईद का नाम ग्लोबल आतंकियों की लिस्ट में शामिल है. अमेरिका ने उस पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.

लिहाजा पाकिस्तान पर अमेरिका-यूएन के साथ-साथ जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव है. ऐसे में हाफिज सईद की गिरफ्तारी पाकिस्तान-अमेरिका की बातचीत में पहली गियर का काम कर सकती है.

वहीं पाकिस्तान को अंदाजा है कि उसे अंतरराष्ट्रीय मदद नहीं मिली तो मुल्क की इकोनॉमी चरमरा जाएगी. लिहाज़ा दिखाने के लिए ही सही मगर आतंक पर वार के लिए पाकिस्तान ने पहला कदम उठा लिया है. इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान की इस तरह की कोशिश के नतीजे सिफर रहे हैं.

दरअसल जिस हाफिज सईद के खिलाफ भारत सबूतों का पुलिंदा सौंपता रहा. उसे गिरफ्तार किया गया तो वो भी हिंदुस्तान में धमाकों के लिए बल्कि उनके अंदरूनी मामलों के लिए. पूरी आशंका है कि दुनिया की नजरों में अपनी इमेज चमकाने के इरादे से पाकिस्तान ने हाफिज सईद को जेल भेजने का ढोंग किया हो. क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि दुनिया से अलग थलग पड़कर वो बहुत दिनों तक आतंक की फैक्ट्री नहीं चला पाएगा.

 

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