एक झूठी खबर ने खोली थी धोनी की किस्मत, और ऐसे बन गए भारत के “कैप्टन कूल”

भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का आज यानी बुधवार को जन्मदिन है। धोनी आज 40 साल के पूरे हो गए हैं। धोनी लो खिलाड़ी है जिन्होंने भारतीय टीम को बुलंदियों तक पहुंचाया है। धोनी टीम इंडिया में क्रांति की तरह आए जिसने एक विकेटकीपर के तौर पर, बल्लेबाज के तौर पर और एक कप्तान के तौर पर टीम इंडिया को एक अभूतपूर्व कामयाबी दिलाई।

धोनी ने वनडे क्रिकेट में 10 शतक की मदद से 10,773 रन बनाए। वहीं टेस्ट में उनके बल्ले से 4876 रन निकले। जिसमें 6 शतक भी शामिल हैं। वहीं टी20 की बात करें तो धोनी ने 1617 रन बनाए। जबकि बतौर कप्तान धोनी ने पूरी दुनिया में धाक जमाई और उन्होंने 2007 में हुए टी20 वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाया। 2011 में उनकी कप्तानी में भारत 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता और 2013 में टीम इंडिया को उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी जिताई।

उनके जीवन से जुड़ी बात करें तो धोनी के पिता ऑपरेटर थे। खुद धोनी एक बेहतरीन क्रिकेटर होने के बावजूद खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की नौकरी कर रहे थे, लेकिन उनका सपना एक क्रिकेटर बनने का था। आइए आपको बताते हैं कि कैसे धोनी खड़गपुर रेलवे स्टेशन से भारत की जर्सी पहनकर क्रिकेट स्टेडियम तक पहुंच गए।

Is MS Dhoni The Best Wicketkeeper In The World At The Moment?

किस्सा 2002-04 का है। उस वक्त टैलेंट रिसोर्स डेवलेपमेंट के अफसर प्रकाश पोद्दार थे जिन्होंने धोनी को एक मैच में बल्लेबाजी करते देखा था। उस मुकाबले में धोनी ने महज 29 रन बनाए थे लेकिन पोद्दार उनकी बल्लेबाजी के कायल हो चुके थे। पोद्दार ने उस मैच के बाद धोनी की रिपोर्ट नेशनल टैलेंट स्कीम के चेयरमैन दिलीप वेंगसरकर को भेजी। धोनी की यही रिपोर्ट तत्कालीन चेयरमैन किरण मोरे तक भी पहुंची और वो उनका मैच देखने जमशेदपुर गए, जहां पर झारखंड और उड़ीसा का मैच चल रहा था। धोनी ने इस मैच में शतक ठोका और बेहतरीन विकेटकीपिंग भी की। उस दौर में धोनी का बतौर विकेटकीपर कमाल की बल्लेबाजी करना एक कमाल ही था क्योंकि टीम इंडिया के पास ऐसा कोई विकेटकीपर नहीं रहा जो अच्छी कीपिंग के साथ-साथ मैच विनिंग पारियां भी खेल सके। इस कमी को पूरा करने के लिए राहुल द्रविड़ कीपिंग कर रहे थे लेकिन वो कामचलाऊ विकल्प ही थे।

फिर आया वो मुकाबला जिसने धोनी की किस्मत ही बदल दी। दिलीप ट्रॉफी के मैच में नॉर्थ जोन की टक्कर ईस्ट जोन से थी। इस मुकाबले को देखने के लिए पूरा सेलेक्शन पैनल स्टेडियम में मौजूद था। उस वक्त के चीफ सेलेक्टर किरण मोरे ने ईस्ट जोन के चयनकर्ता प्रणब रॉय से कहा कि वो मुकाबले में दीपदास गुप्ता की जगह एमएस धोनी को विकेटकीपिंग करने दें।

इसके बाद खबर फैला दी गई कि दीपदास गुप्ता चोट के चलते कीपिंग नहीं कर पाएंगे। बस इस झूठी खबर ने ही धोनी की किस्मत खोल दी। धोनी ने इस मुकाबले में विकेट के पीछे 5 शिकार किये और उन्होंने 47 गेंदों में धुआंधार 60 रनों की पारी खेल सेलेक्टरों का दिल जीत लिया। धोनी ने आशीष नेहरा की पहली गेंद पर चौका और दूसरी गेंद पर छक्का जड़ दिखा दिया कि वो किस कद के खिलाड़ी हैं। दिलीप ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के बाद धोनी को इंडिया-ए टीम में चुना गया। जिसके बाद वो केन्या में त्रिकोणीय सीरीज खेलने पहुंचे। इस सीरीज में धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 2 मैचों में 2 शतक ठोक दिये और दिसंबर 2004 में ही धोनी को टीम इंडिया में जगह मिल गई।

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