देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में इस शहर का बड़ा हाथ, 13 भाषाओं की चलती है पाठशाला..

 रिपोर्ट-संजय मणि त्रिपाठी

मुरादाबाद। भारत अनेकता में एकता का देश है। भारतीय संस्कृति को परिभाषित करती क्षेत्रीय भाषाएं पूरब को पश्चिम से जोड़ने का काम सदियों से करती आई हैं। देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली स्थानीय भाषाएं अपने में इतिहास समेटे हुए हैं।

एकता और अखंडता

क्षेत्रीय भाषाओं का इतिहास भले ही सदियों पुराना हो, लेकिन आज भी ये भाषाएं सिर्फ क्षेत्र विशेष तक ही सिमटी हुई हैं।

भाषाओं के इसी क्षेत्र विशेष के दायरे को तोड़ने के लिए मुरादाबाद में देश की 13 भाषाओं की पढ़ाई कराई जा रही है। भारतीय भाषा केंद्र में पिछले 23 सालों में हजारों छात्र-छात्राएं अलग-अलग भाषाओं को सीख चुके हैं। कारोबारी शहर होने के चलते लोग भाषाओं को सीखने में बड़ा उत्साह भी दिखा रहे हैं।

देश में बोली जाने वाली अलग-अलग भाषाओं में अपना परिचय दे रहे।ये छात्र- छात्राएं मुरादाबाद जनपद के रहने वाले हैं। इनमें स्कूली छात्र-छात्राओं से लेकर नौकरी पेशा लोग और कारोबारी तक शामिल हैं।

आज का पंचांग, 18 नवंबर 2019, दिन- सोमवार

मुरादाबाद में रहने वाले पीतल निर्यातक अनूप कुमार पंजाबी भाषा की पढ़ाई कर चुके हैं और अब मलयालम भाषा सीख रहे हैं।

इन लोगो का कहना है कि कारोबार बढ़ाने के लिए ये लोग विभिन्न भाषा सिख रहे है।हर दिन दो घण्टे कक्षा में पढ़ाई कर रहे अनूप भाषा को लोगों से जोड़ने का अहम जरिया मानते हैं।

भारतीय भाषाओं की उपेक्षा से निराश भी नजर आते हैं।दक्षिण भारत में कारोबार बढ़ाने के लिए अनूप भाषा की जानकारी को जरूरी मानते हैं। वहीं अपनी पढ़ाई कर रही निशु बांग्ला सीख रही हैं।साथ ही लक्षमी पंजाबी भाषा का इस लिया सिख रही है,जिसे वह अपने परिज्त लोगो की बात समझ सके और उन से बात कर सके।

कमजोर आंखों को कुछ ही दिन में दुरुस्त करेंगी बस ये एक चीज

मुरादाबाद के हिन्दू कालेज में 23 साल पहले भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना प्रदेश सरकार के सहयोग से की गई थी। वर्तमान में यहां देश के अलग-अलग राज्यों में बोली जाने वाली 13 भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं।तमिल, तेलगु, मलयालम, गुजराती, कन्नड़, मराठी, असमी, उड़िया, बंगाली, सिंधी, नेपाली, कश्मीरी और पंजाबी भाषाओं को हर रोज इस केंद्र में निशुल्क पढ़ाया जाता है। हर साल यहां बड़ी संख्या में छात्र प्रवेश लेते हैं और पढ़ाई पूरी कर अपने सपनों को पूरा करते हैं।कालेज प्रशासन भी इस केंद्र को एक भारत की परिकल्पना में महत्वपूर्ण कदम करार देता है।

भाषाओं की पढ़ाई करने के बाद छात्र जहां बेहतर कैरियर हासिल कर रहे हैं।वहीं कारोबारियों को क्षेत्रीय भाषा की समझ होने के चलते अपने ग्राहकों से बेहतर रिश्ता कायम करने में मदद मिल रही है। एक छत के नीचे बैठ कर भारतीय भाषाओं की यह पढ़ाई देश के असल स्वरूप को भी दर्शाती है। यहां पंजाब से लेकर तमिलनाडु और असम से लेकर गुजरात तक की बोली हर किसी से नया रिश्ता बना जाती है।

 

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