एईएस पर सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) को फैलने से रोकने के मद्देनजर सहायता और समीक्षा के लिए एक मेडिकल पेशेवरों की टीम वहां भेजने के लिए केंद्र को आदेश देने के मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। इस बीमारी की वजह से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पहले 128 बच्चों की जान जा चुकी है। सर्वोच्च न्यायालय की एक अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय कर दिया।

याचिका दो अधिवक्ताओं मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी ने दाखिल की है। दोनों ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार को एकसाथ स्थिति से निपटने के लिए जरूरी मेडिकल पेशेवरों के साथ तत्काल 500 आईसीयू की व्यवस्था करनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों के लापरवाह दृष्टिकोण की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है, क्योंकि उन्होंने इस बीमार से हर वर्ष बच्चों की मौतों को नजरअंदाज किया।

याचिकाकर्ताओं ने मामले में सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा, “सैकड़ों की तादाद में बच्चे दवाइयों, समुचित देखभाल, क्षेत्र के अस्पतालों में आईसीयू के अभाव की वजह से मर रहे हैं।”

याचिका में डॉक्टरों की हालिया हड़ताल को संदर्भित करते हुए कहा गया है कि यह संयोग से बीमारी के फैलने के दौरान हुआ, जिससे सरकारी अस्पतालों में भर्ती रोगियों की देखभाल प्रभावित हुई।

मौनी रॉय को टीवी शो नागिन की वजह से मिला फिल्म ब्रह्मास्त्र में अहम रोल

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार को प्रत्येक मृतक बच्चे के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि देनी चाहिए।

LIVE TV