उम्मा नरसंहारः बड़ा खुलासा गुप्त कैमरे में सामने आई ये सच्चाई

Report – Ravi Pandey

उम्भा गोलीकाण्ड का खुलासा करते हुए नायाब दरोगा ने बताया की गोलीकाण्ड की सूचना पर मात्र दो दरोगा और चार सिपाही ही घोरावल कोतवाली से मौके पर गए थे।जबकि इतनी बड़ी घटना में पूरी फोर्स की जरूरत होती है।

उक्त बातें घोरावल कोतवाली में तैनात एक नायाब दरोगा ने गुप्त कैमरे में खुलासा करते हुए बताया।उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना के लिए पूरी फोर्स की जरूरत होती है जिसमे 8-10 दरोगा,पीएसी और सिपाही होते है। किसी तरह से जान बचाकर शवो व घायलों को लाना पड़ा।

उम्भा गाँव मे 17 जुलाई को हुए नरसंहार में 10 लोगो की मौत और 28 ग्रामीण घायल हो गए थे। ग्रामीणों द्वारा जब पुलिस को सूचना दिया गया तो पुलिस घटना से पहले नही पहुचने की बात कही गयी थी,जबकि हकीकत कुछ और था।

उस समय थाने पर मात्र दो दरोगा और चार सिपाही ही मौजूद थे।इतना ही नही गाड़ी भी थाने पर एक ही थी,दूसरी डायल 100 की मंगाई गई।अगर समय रहते फोर्स मौके पर पहुचा जाती तो इतनी बड़ी घटना रोका जा सकता था।इतने बड़े राज का खुलाशा एक गुप्त कैमरे के सामने स्वयं घोरावल कोतवाली का एक नायाब दरोगा ने बताया।

इसी बात को एक पुलिसकर्मी नायब दरोगा द्वारा गुप्त कैमरे में खुलाशा किया गया कि इतनी बड़ी घटना के दिन थाने पर फोर्स नही थी, घटना स्थल काफी दूर था, उस दिन थाने पर 2 दरोगा 4 सिपाही (कांस्टेबल) थे ।

वहीं घटना स्थल पर गए। 2 गाड़ी से 1 थाने की, दूसरी डायल 100 की गाड़ी थी, उसी से घायलो को अस्पताल व शवों को लाया गया।ग्रामीण घटना स्थल पर पुलिस को मारने की बात देने लगे ।किसी तरह से शवो को भरकर भेजवाया गया।

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वहीं आगे बताया कि इतने बड़ी घटना में पूरी फोर्स की जरूरत होती है ,जिसमे 8-10दरोगा,सिपाही और प्लाटून पीएसी के जवानों का होना जरूरी है।जबकि उस दौरान थाने में कोई नही था,सबकी ड्यूटी अन्यत्र लगाई गई थी,कोई वाराणसी,इलाहाबाद,लखनऊ तो कोई कही गया हुआ था।नायब दरोगा के इस खुलासे से स्पष्ट है की अगर समय से पुलिस पोर्स की व्यवस्था हो जाती तो इतनी बड़ी घटना को रोका जा सकता था, या फिर समय से फोर्स पहुचती तो लोगो की जान बचाया जा सकता था।

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