उत्‍तर प्रदेश : राज्यसभा और विधान परिषद की गणित में उलझे सभी दल

उत्‍तर प्रदेशलखनऊ। उत्‍तर प्रदेश से राज्यसभा और विधान परिषद की रिक्त सीटों के सापेक्ष एक-एक अधिक नामांकन होने से अब मतदान के जरिये प्रत्याशियों का चयन होगा। चुनाव होने के कारण छोटे दलों की पूछ बढ़ गई है। सभी दल छोटे दलों की खुशामद में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटों के लिए 12 और विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 10 जून को विधान परिषद सदस्यों के लिए और 11 जून को राज्यसभा सदस्यों के लिए मतदान विधान भवन में होगा। दोनों चुनावों के लिए वोट सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक पड़ेंगे। मतदान के तुरंत बाद यानी उसी दिन 5 बजे से मतगणना शुरू हो जाएगी।

उत्‍तर प्रदेश में तेज हुआ जोड़-तोड़ का सिलसिला

मालूम हो कि राज्यसभा के लिए समाजवादी पार्टी ने 7, बहुजन समाज पार्टी ने 2, कांग्रेस और बीजेपी ने एक-एक प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इसके अलावा भाजपा के समर्थन से गुजरात की प्रीति हरिहर महापात्रा ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राज्यसभा सदस्य के लिए पर्चा भरा है। इसी तरह विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें समाजवादी पार्टी ने 8, बहुजन समाज पार्टी ने 3, कांग्रेस ने एक और भारतीय जनता पार्टी ने 2 प्रत्याशियों का नामांकन करवाया है।

दरअसल, उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ बसपा और कांग्रेस राज्यसभा और विधान परिषद सदस्यों के लिए चुनाव के पक्ष में नहीं थे। मगर नाम वापस लेने की समयावधि पूरी होने के बाद किसी भी प्रत्याशी के पर्चा वापस नहीं लेने से सभी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

इन चुनावों में विजयी होने के लिए आवश्यकता पड़ने वाले वोटों की संख्या पर यदि नजर डालें तो राज्यसभा के लिए प्रथम वरीयता के 34 और विधान परिषद के लिए 29 वोट पाना अनिवार्य होगा। विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या 404 है लेकिन एक नामित सदस्य को मतदान का अधिकार नहीं है। विधानसभा में सपा के 229, बसपा के 80, भाजपा के 41, कांग्रेस के 29, रालोद के आठ, पीस पार्टी चार, कौमी एकता दल दो, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी एक, अपना दल एक, इत्तेहादे मिल्लत कौंसिल एक, तृणमूल कांग्रेस एक और छह निर्दलीय सदस्य हैं।

उत्‍तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी गणित की बात करें तो उसके पास कुल 41 मत हैं जबकि विधान परिषद की सदस्यता के लिए प्रथम वरीयता के 29 मत चाहिए। पार्टी एक उम्मीदवार को अपने बलबूते पर ही जिताने में सक्षम है, लेकिन दूसरे उम्मीदवार की जीत के लिए उसे 17 अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी। सपा को सभी आठ उम्मीदवारों को विधान परिषद के चुनाव में जिताने के लिए 232 मतदाताओं की जरूरत होगी जबकि सपा सदस्यों की संख्या 229 है। आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए तीन वोट की और जरूरत होगी। राज्य विधानसभा में अपने 80 सदस्यों के बलबूते बसपा राज्यसभा और विधान परिषद के लिए दो-दो उम्मीदवार जिताने में सक्षम है।

राज्यसभा उम्मीदवार को वोट देने के बाद भी बसपा के 12 मत बच जाएंगे। इसी तरह कांग्रेस अपने बलबूते विधान परिषद की एक सीट तो जीत सकती है लेकिन राज्यसभा के लिए कपिल सिब्बल को जिताने के लिए कांग्रेस को पांच अतिरिक्त मतों की व्यवस्था करनी पड़ेगी। राज्यसभा चुनाव में सपा अपने छह उम्मीदवारों को आसानी से जिता लेगी लेकिन सातवें उम्मीदवार के लिए उसे नौ अतिरिक्त मतों की जरूरत पड़ेगी।

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