इस वजह से HAL पर घिरे संकट के बादल, कर्मचारियों को वेतन देना हुआ मुश्किल बैंक से लेना पड़ा करोड़ों का ओवरड्राफ्ट

नई दिल्ली। भारत की सरकारी एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की माली हालत इन दिनों खस्ता हो चुकी है।


कंपनी बड़े वित्तीय संकट से जूझ रही है। हालात ये हैं कि एचएएल के पास अपने कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने के लिए भी फंड नहीं बचा है।

कंपनी को भारत सरकार से काम नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उसकी आमदनी ठप पड़ गई है। वित्तीय संकटों और अधूरे पड़े कामों को पूरा करने के लिए अब कंपनी को बैंक से 962 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट (कर्ज) लेना पड़ा। रविवार को एचएएल ने ट्विटर के माध्यम से कर्ज लेने की पुष्टी की है।

कंपनी ने ट्वीट में लिखा, ‘एचएएल को लेकर मीडिया में आई विभिन्न खबरों के मद्देनजर, यह स्पष्ट किया जाता है- एचएएल ने 962 करोड़ रुपए का ओवरड्राफ्ट लिया है। मार्च तक अनुमानित संग्रह से नगद की स्थिति में सुधार हो सकता है। एलसीए मैक1ए (83) और एलसीएच (15) आखिरी चरण में हैं।’

हैरान करने वाली बात यह है कि रक्षा कंपनी की खस्ता माली हालत ऐसे समय है, जब कंपनी ने साल 2003 से 2018 के बीच अब तक सरकार को 9 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस राशि का 50 प्रतिशचत हिस्सा एचएएल ने सरकार को बीते पांच वर्षों में दिया है।

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, एचएएल ने कुल 8,996 रुपये सरकार को लाभांश के तौर पर दिए। इस रकम से सरकार ने 2003 से लेकर 2013 के बीच यानी दस वर्षों में लिए 4,366 रुपये लिये। वहीं इसके बाद पांच वर्षों में 4,630 करोड़ रुपये का लाभांश लिया।

एचएएल कर्मचारियों के संगठन के जनरल सेक्रेटरी सूर्यदेवारा चंद्रशेखर ने मीडिया को बताया कि पिछले 3 वर्षों में सरकार ने कंपनी के शेयरों का दो बार बायबैक किया। कंपनी के 75 वर्षों के इतिहास में पहली बार ये कदम उठाए गए।

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चंद्रशेखर के मुताबिक, बायबैक से कंपनी की आर्थिक हालत पर असर पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एचएएल के दो बायबैक कुल 6393 करोड़ रुपये के थे। पहला 5265 करोड़ रुपये का बायबैक 2015 में और दूसरा 1128 करोड़ रुपये का 2017 में किया गया।

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