इस बार के बजट की खास बातें, देश का बदलेगा मिजाज

नई दिल्ली। केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2019 में अपने विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में असफल रही है। इसके बाद सरकार की क्षमता पर सवाल खड़े हो गए हैं। सरकार ने अब तक सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री से 35,000 करोड़ रुपये जुटा सकी है।

वित्त वर्ष 2020 के लिए सरकार ने विनिवेश का लक्ष्य 1 लाख करोड़ रुपए रखा है। लेकिन विषेश्लकों का माना है कि इस पूरा करने में मुश्किल हो सकती है। यह रकम इस वित्त वर्ष के लिए तय 80,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य से काफी कम है। वित्त वर्ष 19 में सरकार ने विनिवेश से 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। मगर 10 महीनों में सरकार एसेट बिक्री के जरिए सिर्फ 35,100 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है।

इकनोमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष में अपने विनिवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये कर सकती है। क्योंकि सरकार चुनाव से पहले वह किसानों और मध्यम वर्ग के लिए राहत का ऐलान कर सकती है।

वित्त वर्ष में सरकार तीन सरकारी कंपनियों राइट्स, इरकॉन इंटरनेशनल और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स के आईपीओ जारी करने वाली है। सरकार ने सीपीएसई ईटीएफ के एफपीओ के जरिए 17,000 करोड़ रुपये जुटाए, जबकि भारत के जरिए 8,300 करोड़ रुपये हासिल किए।

इनके अलावा सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान भेल, कोच्चि शिपयार्ड, नालको, एनएली इंडिया और केआईओसीएल ने बायबैक का ऐलान किया। वहीं 2019 वित्त वर्ष को लेकर नोमुरा इंडिया का मानना है कि सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य से 15,000 करोड़ रुपये तक पीछे रह सकती है। इसके लिए हाल में सरकार ने एक बैठक बुलायी थी।

एम्बिट कैपिटल का मानना है कि इस साल सरकार को विनिवेश से 60,000 करोड़ रुपये की आय होगी। फिलिप कैपिटल का भी लक्षय से 20,000 करोड़ रुपये दूर रहने का अनुमान है।

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बीते चार सालों में कंपनियों के शेयर बिक्री को सफल बनाने में भारतीय जीवन बीमा निमग (LIC) का अहम योगदान रहा है। आकंड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में सरकार द्वारा जुटाई कुल रकम का 33 फीसदी हिस्सा एलआईसी से आया था। ऐसे में सरकार की पूरी निगाहें अब एलआईसी पर टिकी हुई हैं। इसलिए एडलवाइज सिक्योरिटीज वित्त वर्ष 19 के लक्ष्य को लेकर चिंतित नहीं है।

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